यहां भाग्य और कर्म की दौड़ में बेरोजगार रोजगार के लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में आस का पंछी बन जाते हैं। करोड़पति बनने की भागमभाग में एक सवाल यह भी उठता है कि क्या यह प्रतियोगिता सभी के लिए है? ऐसा है तो वे लोग इस प्रतियोगिता में कैसे हिस्सा ले सकते हैं, जिन्हें दृष्टिबाधित या गूंगे-बहरे कहा जाता है। जबकि उनको भी शिक्षा पहचान, इशारों के संकेत आदि के द्वारा प्राप्त होती है।

सवालों की दुनिया में प्रतिभागी की तरह करोड़पति बनने की चाह में क्या वे भी कभी शामिल हो पाएंगे? क्या केबीसी उनके लिए भी ऐसे सवाल प्रतियोगिता में शामिल करेंगे, जिनके जवाब इशारों से या पहचान से वे दे सकें, ताकि उन वर्गों में भी अपने आत्मबल को मजबूत बनाने के साथ-साथ वे भी ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के प्रतिभागियों की तरह इस प्रतियोगिता में भाग ले सकें। हालांकि वैसे लोगों को केबीसी में प्रतिभागी नहीं बनाया जाना चाहिए, क्योंकि जीत की स्थिति में ज्यादा खुशी या फिर हारने की वजह से उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
संजय वर्मा ‘दृष्टि’, मनावर, धार

पराली का हल

दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में हर वर्ष पराली जलाने से जहरीला धुआं उठता है और प्रदूषण बढ़ने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है। लेकिन किसानों के पास इस समस्या का कोई ठोस हल नहीं है। लेकिन अब पराली के भी दाम मिलने लगे हैं। हरियाणा में बड़े स्तर पर पराली खरीदी का कारोबार प्रारंभ हो गया है। वहां बीस से ज्यादा संयंत्र लग चुके हैं।

बड़े पैमाने पर पराली खरीद कर मशीनों से काटकर चारा तैयार किया जाता है। चारा गुजरात, राजस्थान आदि प्रांतों में भेजा जाता है। वहां पर पशु आहार बनाया जाता है। बड़ी कंपनियां सीधे खेत से ही पराली खरीद कर ले जाती हैं। प्रत्येक राज्य और केंद्र सरकार को पराली की समस्या के हल के लिए चारा और पशु आहार बनाने वाली कंपनियों को प्रोत्साहित करना चाहिए और कारखाने लगाने के लिए तकनीकी ज्ञान, अनुदान और निवेश कर हर संभव मदद करना चाहिए।
अरविंद जैन ‘बीमा’, उज्जैन