पिछले कुछ समय से आभासी मुद्रा के रूप में प्रचलित ‘बिटकॉइन’ काले धन का एक नया और सुरक्षित अड्डा बनता जा रहा है। यह मुद्रा पूरी तरह साइबर तंत्र पर आधारित होती है और सिर्फ साइबर दस्तावेज के रूप में पासवर्ड से सुरक्षित होती है। इस तरह की मुद्रा पर किसी देश या सरकार, संगठन अथवा व्यक्ति का कोई प्रत्यक्ष या परोक्ष नियंत्रण बिल्कुल भी नहीं है नतीजतन, इसका कोई सुरक्षा पैमाना भी उपलब्ध नहीं है। इस मुद्रा का प्रयोग वैश्विक स्तर पर कारोबार या निवेश अथवा अवैध काम-धंधों और आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए किया जाता है। इस सारी प्रक्रिया में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि सरकार की देखरेख में बिल्कुल भी नहीं होने के कारण इस पर किसी तरह का कर भी नहीं लग पाता है। साथ ही, कोई भी अपने काले धन को आसानी से इस आभासी मुद्रा में रख सकता है। इस पर कोई देश कार्रवाई भी नहीं कर सकता क्योंकि इसका कोई प्रत्यक्ष दस्तावेजी सबूत कहीं उपलब्ध नहीं होता है।
इस तरह की आभासी मुद्रा के कारण सरकार आर्थिक मोर्चे पर एक नई चुनौती का सामना कर रही है, जिसके भविष्य में और अधिक गंभीर होने की आशंका है। इससे बचने के लिए सरकार के पास कुछ ही विकल्प मौजूद हैं, जिनका प्रयोग वह कर सकती है। वह जनता को इसके जोखिम और नकारात्मक परिणाम बता कर सचेत कर सकती है, तो दूसरी तरफ साइबर तंत्र पर निगरानी बढ़ाकर समस्या से निपटने का प्रयास कर सकती है। या फिर इस तरह की मुद्रा के लिए आवश्यक नियमावली बनाकर आभासी मुद्रा के क्षेत्र में एक प्रगतिशील कदम बढ़ाते हुए इसे वैधता प्रदान कर सकती है।
’सुमित कुमार, गोविंद फंदह, रीगा, सीतामढ़ी
चौपालः आभासी मुद्रा
पिछले कुछ समय से आभासी मुद्रा के रूप में प्रचलित ‘बिटकॉइन’ काले धन का एक नया और सुरक्षित अड्डा बनता जा रहा है।
Written by जनसत्ता

Jansatta.com पर पढ़े ताज़ा चौपाल समाचार (Chopal News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए जनसत्ता की हिंदी समाचार ऐप डाउनलोड करके अपने समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं ।
First published on: 03-01-2018 at 03:05 IST