वायु प्रदूषण आज राष्ट्रीय समस्या बन चुकी है। वाहनों एवं औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुंआ वायु प्रदूषण को बढ़ाने का प्रमुख कारण बन चुका है। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए डीजल और पेट्रोल वाहन के स्थान पर सरकार को हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहन को प्रोत्साहित करने होंगे। विकसित देशों में इस तरह के वाहनों का प्रचलन अधिक है। इन वाहनों के प्रयोग से प्रदूषण के स्तर में कमी आएगी। भारत मे ई-रिक्शा का प्रचलन बहुतायत है। यह प्रदूषण नियंत्रण में बहुत मददगार साबित हो रहा है।
वायु प्रदूषण की वजह से कई तरह की जानलेवा बीमारियों का जन्म हो रहा है। कोरोना महामारी की वजह से लगी पूर्णबंदी के दौर में वायु प्रदूषण के स्तर में कमी देखी गई। दिल्ली में वायु प्रदूषण के स्तर में बढ़ोत्तरी की वजह से कोरोना संक्रमण में भी तेजी आई। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। अब समय आ चुका है कि डीजल और पेट्रोल के वाहनों को हतोत्साहित किया जाए। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हर नागरिक को अपने जीवन में एक वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए।
’हिमांशु शेखर, केसपा, गया, बिहार<br />
शासन का दायित्व
कोरोना जैसी भयंकर महामारी में भी शासन की ओर से उपयुक्त व्यवस्था न होना और ऊपर से इसके मरीजों के लिए दवाओं, टीकों, आॅक्सीजन, बिस्तरों और वाहनों आदि तक में बेहद अभाव के बाद भी धड़ल्ले से कालाबाजारी का होना समाज और शासन पर ही बड़ा कलंक है, जो इस पतन की पोल खोलता है। इसलिए इसे रोकने और भावी व्यवस्था को तुरंत सही करने के लिए इन सबके उत्पादन और सही वितरण पर तुरंत पारदर्शी नियंत्रण बहुत जरूरी है।
अजीब बात यह है कि यहां आग लगने के बाद ही कुआं खोदने की बात सोची जाती है, मगर कुआं फिर भी नहीं खोदा जाता। किसे क्या कहा जाए। ऐसा लगता है कि पूरे कुएं में ही भांग पड़ी है। इसके लिए मुख्य रूप से शासन जिम्मेवार है, क्योंकि जनता की अपनी सीमित भूमिका है। किसी भी समस्या के हल के लिए शासन को ही आगे कदम बढ़ाना पड़ता है। फिर जनता उसका अनुगमन करती है।
’वेद मामूरपुर, नरेला, दिल्ली