महिलाओं का आभार प्रकट करने के लिए हर साल 8 मार्च को महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे मुख्य कारण है महिलाओं का सम्मान। एक कहावत है कि एक पुरुष को शिक्षित करके हम सिर्फ एक ही व्यक्ति को शिक्षित कर सकते हैं, लेकिन एक महिला को शिक्षित करके हम पूरे देश को शिक्षित कर सकते हैं। किसी देश और समाज की तो छोड़िए, हम अपने परिवार के उन्नति की कल्पना भी स्त्री शिक्षा के बिना नहीं कर सकते हैं। किसी भी लोकतंत्र की यह नींव है कि स्त्री और पुरुष को बराबर शिक्षा प्राप्त करने का हक हो। एक पढ़ी-लिखी स्त्री ही समाज में खुशी और शांति ला सकती है।
कहते हैं कि बच्चे इस देश का भविष्य हैं और एक स्त्री मां के रूप में उसकी शुरुआती शिक्षा का स्रोत है। इसी कारणवश एक स्त्री का शिक्षित होना बहुत जरूरी है। एक शिक्षित नारी न केवल अपने घर-परिवार को, बल्कि पूरे समाज को सही दिशा प्रदान करती है। हर एक स्त्री को अपनी इच्छानुसार शिक्षा ग्रहण करने का हक है और यह भी कि वे उस क्षेत्र में कार्य कर सकें जिनमें वे कुशल हैं। मगर यह कहते हुए भी बहुत दुख होता है कि आज भी लड़कियों को अपने जीवन का अधिकार लेने की स्वतंत्रता नही है। मध्यमवर्गीय परिवार में तो उनके उनके जीवन के सारे फैसले उनके पिता या भाई द्वारा लिए जाते हैं। लड़कियों को सिर्फ इसलिए पढ़ाया जाता है कि उनकी शादी में कोई दिक्कत न आए।
पढ़ाई को लेकर उन्हें कोई आर्थिक सुविधा नहीं मिलती। अगर वे सरकारी विभागों में नौकरी करने की तैयारी करने की चाह रखती हैं तो कोचिंग आदि की व्यवस्था बेटी के लिए नहीं होती, क्योंकि मां-बाप उनको पढ़ाने के बजाय उनकी शादी के लिए रुपए इकट्ठा करते हैं। इसके विपरीत लड़कों को सारी सुविधाएं मिलती हैं। हमारे समाज की लड़कियां अगर आर्थिक रूप से मजबूत नहीं होंगी, तब तक वे प्रगति के शिखर पर नहीं पहुंच पाएंगी। और तब तक हमारा समाज एक न्यायपूर्ण समाज नहीं कहा सकेगा।
कल्पना झा, फरीदाबाद, हरियाणा
पढ़ाई की सीमाएं
रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच भारत में चर्चा का एक मुद्दा यह है कि आखिर भारतीय विद्यार्थी चिकित्सा की पढ़ाई के लिए यूक्रेन क्यों जाते हैं? यूक्रेन के स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्रालय के अनुसार यूक्रेन में 20,000 से अधिक भारतीय नागरिक हैं, जिसमें सर्वाधिक संख्या लगभग 18,000 चिकित्सा के विद्यार्थियों की है। कुछ इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों मे भी नामांकित हैं। जो विद्यार्थी भारत के सरकारी कालेजों में सीट पाने में असमर्थ हैं या निजी संस्थानों मे फीस अधिक होने की स्थिति में यूक्रेन में चिकित्सा शिक्षा अध्ययन में रुचि लेते हैं, क्योंकि यूक्रेन मे भारत की अपेक्षा चिकित्सा पाठ्यक्रम में सस्ती दरों पर आसानी से प्रवेश मिल जाता है।
भारत में चिकित्सा कालेजो मे प्रवेश के लिए नीट परीक्षा उच्च फीसद के साथ पास करना होता है, जबकि यूक्रेन मे उच्च अंकों की अनिवार्यता नहीं होने से आसानी से प्रवेश मिल जाता है। नीट परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थियों की संख्या भारत में मेडिकल कालेजों की सीटों की तुलना में बहुत अधिक है! कई अन्य देशों की तुलना में यूक्रेन में रहने, भोजन और अन्य सुविधाओं की कुल लागत कम है।
यूक्रेन के चिकित्सा पाठ्यक्रम को वैश्विक स्वीकृति है, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, यूरोपीय परिषद द्वारा स्वीकृत किया गया है। साथ ही भारत में अभ्यास करने के लाइसेंस के लिए विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा आयोजित किया जाता है, जिसे पास कर भारत में भी चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी सेवाएं दी जा सकती हैं। यूक्रेन में चिकित्सा पाठ्यक्रम की भाषा अंग्रेजी होने के कारण कोई अन्य नई विदेशी भाषा सीखनी नहीं पड़ती, इसलिए यूक्रेन में विद्यार्थी चिकित्सा पढ़ाई के प्रति रुचि लेते हैैं! विवाद के चलते विद्यार्थी यूक्रेन मे फंसे हुए हैं। उनका खयाल करना फिलहाल भारत सरकार की जिम्मेदारी है।
उत्तम यदु, बेमेतरा, छत्तीसगढ़