संविधान में राज्यपाल का पद एक निष्पक्ष पद माना गया है। कुछ उदाहरणों को छोड़ कर प्राय: राज्यपाल निर्विवादित ही रहे हैं। राज्यपाल की एक अलग गरिमा है। लेकिन बिहार में जीतन राम मांझी और नीतीश कुमार के अंतर्विरोध से उत्पन्न विवाद पर बिहार के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के बयान से उनकी निष्पक्षता नहीं झलकती। वैसे तो शुरू से यह परंपरा चली आ रही है कि केंद्र में स्थापित सरकार अपने मनोनुकूल लोगों को राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपती है। कुछ राज्यों में राज्यपाल की तरफ से किसी खास दल या पक्ष को तवज्जो मिलने की बात भी कभी-कभार सुनने को मिली है। इससे कई राज्यों में राजनीतिक संकट भी पैदा हुए हैं।

राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी को बिहार का राज्यपाल बनाने के बाद से ही यह बहस बिहार के राजनीतिक पटल पर होने लगी थी कि आने वाले समय में इनकी भूमिका पर संदेह उठ सकते हैं। राज्यपाल संविधान के प्रति उत्तरदायी होते हैं इसलिए उन्हें अपनी छवि निष्पक्ष रखनी चाहिए।
अशोक कुमार, तेघड़ा, बेगूसराय

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