यह एक सर्वविदित सच्चाई है कि इस देश की सबसे भ्रष्ट संस्था कोई है तो वह है पुलिस। इसका अनुभव हम प्रतिदिन किसी न किसी रूप में करते हैं। ट्रैफिक से लेकर रेहड़ी-ठेलेवालों तक। इसका असर बाकी सभी विवादों के साथ-साथ महंगाई पर भी लगभग दस से पंद्रह प्रतिशत तक पड़ता है। यह तो सर्वसाधारण पर पड़ने वाला एक दुष्प्रभाव है।
पुलिस की भी अपनी मजबूरियां हैं। लगभग सभी पदों की भर्ती से लेकर तैनाती तक ऊपर वालों और राजनेताओं को इस रिश्वत का किसी न किसी रूप में हिस्सा चाहिए। यह भी एक ध्रुव सत्य है। इस मामले में किरण बेदी इस संस्था की सबसे बड़ी गवाह और भुक्तभोगी भी रही हैं; जो दिल्ली विधानसभा के चुनाव में भाजपा की प्रत्याशी भी हैं।
दिल्ली के एक साधारण नागरिक के नाते, बात को विषयांतर में न ले जाकर; मैं दिल्ली के संभावित मुख्यमंत्री और उनके पार्टी प्रवक्ताओं से पूछना चाहूंगा कि बाकी प्राथमिकताओं के साथ-साथ इस मामले में उनकी क्या रणनीति है या होगी?
सतीश चोपड़ा, अशोक विहार-1, दिल्ली
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