दिल्ली में एनडीएमसी यानी नई दिल्ली नगर परिषद ने यातायात नियमों को ताक पर रख कर सड़कों के दोनों किनारों और विभाजक पत्थरों को लगभग भगवा और हरे रंग में रंग दिया है। पश्चिम बंगाल में जब ममता बनर्जी सत्ता में आर्इं, तो उन्होंने कोलकाता में तमाम सरकारी इमारतों, पुलों, बत्तियों को नीले रंग में पोतने के आदेश दे दिए। बस और सड़क के डिवाइडर भी नीले और सफेद रंग में रंग दिए गए। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री रहते मायावती ने भी लखनऊ शहर को नीले रंग से घर दिया था। यह समझना मुश्किल है कि राजनीतिक दलों को अपनी विचारधारा बचाए रखने के लिए उन जगहों को भी अपने प्रतीक वाले रंग में रंगना जरूरी क्यों लगता है? एनडीएमसी अपनी ताजा कवायद के पीछे भले सौंदर्यीकरण की दलील दे, लेकिन इसे किसी खास राजनीतिक दल को खुश करने की कीमत पर सड़क-सुरक्षा को कमजोर करके हादसे की स्थितियों को बढ़ाने की तरह ही देखा जाएगा।
’अनिल पाराशर, पहाड़गंज, दिल्ली
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