आम आदमी पार्टी (आप) में नेताओं के बीच मतभेद और टकराव अच्छा संकेत नहीं है। अच्छा केवल इतना है कि पहली बार देखने को मिला कि पार्टी दफ्तर के बाहर कार्यकर्ता नेताओं में एका की खातिर नारे लगा रहे थे। आप नेताओं को इससे सबक लेना चाहिए। जनता बार-बार मौका नहीं देती। अगर कोई उसकी कसौटी पर खरा नहीं उतरता तो उसे जल्दी ही जमीन पर ला पटकती है। उम्मीद है, ‘आप’ के नेता जल्दी मतभेदों को सुलझा कर दिल्ली को उम्मीदों पर खरी उतरने वाली सरकार देंगे।
राजेंद्र प्रसाद बारी, इंदिरा नगर, लखनऊ
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