पूर्वी उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के सरकारी स्कूल का वीडियो जिसने भी देखा वह केंद्र सरकार के इस दावे पर यकीन ही नहीं करेगा कि अगले पांच साल में देश की अर्थव्यवस्था पांच खरब डॉलर की बन जाएगी। पिछले एक साल से कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों को मिड डे मील के तौर पर सूखी रोटियां और नमक खिलाया जा रहा है। ये तो बच्चों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। गरीब घर के बच्चे इसलिए स्कूल जाते हैं ताकि उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ पोषणयुक्त आहार मिले। उत्तर प्रदेश सरकार की भोजन-सूची में दाल, चावल, रोटी और सब्जी देने की बात लिखी गई है। विशेष दिनों में फल और दूध देने का भी प्रावधान है। इसका मतलब भ्रष्टाचार का दीमक बच्चों से उनका ये अधिकार छीन रहा है। कहने को तो प्रभारी शिक्षक एवं ग्राम पंचायत सुपरवाइजर को बर्खास्त कर दिया गया है। इतने से तो सरकार अपने दायित्व का इतिश्री नहीं समझ सकती।
जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर
बाढ़ से बचाव
भारत के ज्यादातर राज्यों में हर साल आने वाली बाढ़ एक गंभीर समस्या बन गई है। बाढ़ से अरबों रुपए की संपत्ति और फसल नष्ट हो जाती है और लाखों लोग बेघर हो जाते हैं। उफनती नदियां किसी पर कोई रहम नहीं करतीं। पेड़-पौधे, दुर्लभ वनस्पतियां, जीव-जंतुओं सबको अपने साथ बहा ले जाती हैं। लेकिन इस बाढ़ का सबसे कारण प्रकृति के साथ इंसान की छेड़छाड़ है। ज्यादातर प्राकृति आपदाओं का कारण खुद मनुष्य ही बना है। भारत एक असमान वर्षा वाला देश है। यहां लगभग सत्तर से नब्बे फीसद बारिश मानसून के चार महीनों यानी जून से सितंबर में ही हो जाती है। यह भी नहीं है कि सभी जगहों पर एक समान वर्षा होती है बल्कि कहीं कम तो कहीं अधिक वर्षा होती है। ऐसे में बाढ़ से निपटने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। इनमें एक जल संरक्षण भी है। वर्षा के पानी को जल ग्रहण क्षेत्रों में ही जगह-जगह मिट्टी के बांध और जलाशयों का निर्माण करके बाढ़ को रोका जा सकता है। दुख की बात है कि भारत में बाढ़ से बचाव के लिए जल संरक्षण के ऐसे उपायों पर कोई काम नहीं हो रहा है। हालांकि कुछ इलाकों में ऐसे प्रयास हुए हैं और वहां बाढ़ की विभीषिका कम हुई है। इसके अलावा वृक्षों की कटाई पर सरकार को नियंत्रण लगाना होगा। नदियों के किनारे अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर भूमि कटाव को कम किया जा सकता है। कस्बों और शहरों में पानी की उचित निकासी का इंतजाम भी जलभराव की समस्या से बचा सकता है। गंदे नालों की साफ-सफाई समय से कराई जानी चाहिए जो कि कहीं नहीं होती। मुबंई में बारिश के दौरान सड़कों पर पानी भरने का कारण ही नालों की सफाई नहीं होना है। बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा भले ही हो, लेकिन प्रभाव पूर्ण तरीके से इस पर नियंत्रण करके नुकसान को एक बहुत बड़ी सीमा तक कम किया जा सकता
है।
’राजू, गोरखपुर