देश का कोई भी क्षेत्र अगर किसी प्रकार से आवाजाही से कटा हुआ हो तो वह समूचे देश से कटा-सा रहता है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में ऐसे राज्य अब भी हैं, जो बीते चौहत्तर सालों से भारतीय रेल के आवाजाही का इंतजार कर रहे हैं। मगर कभी पूर्व की केंद्र सरकारों ने इन्हें देश से जोड़ने का कोई ठोस प्रयत्न नहीं किया।
आखिर क्यों इन पूर्वोत्तर क्षेत्रों को शेष भारत से जोड़ने के द्रुतगामी प्रयास नहीं किए गए? जबकि ये क्षेत्र भी कश्मीर की तरह अलगाव की आग में जल रहे थे। अब जबकि पैसेंजर ट्रेन के साथ मालगाड़ी भी पहली बार मणिपुर जैसे महत्त्वपूर्ण राज्य में पहुंच चुकी है, उम्मीद है यह भारत के व्यापार, पर्यटन आदि उद्योगों के लिए पूर्वोत्तर राज्यों के रास्तों को खोलेगी। इससे इस समूचे क्षेत्र में विकास और समृद्धि की नई बयार देखने को मिलेगी।
- युवराज पल्लव, हापुड़