सोशल मीडिया अब एक ऐसा मंच बन गया है जहां लोग न केवल अपने विचारों को प्रकट करते है, बल्कि इस जरिए का इस्तेमाल कर अपनी पहचान भी स्थापित कर रहे हैं। सोशल मीडिया ने वैसे लोगों को भी पहचान दिलाई है जो शायद कभी उभर कर नहीं आ पाते। कला एक ऐसी चीज है, जिसके उभरने तक उसके अस्तित्व का पता नहीं चलता। इसका तब पता चलता है जब हम उसे प्रस्तुत करते हैं और इसके लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है एक ऐसा मंच जो माध्यम बन सके। इसके अभाव में शायद कला को खुद कलाकार भी नहीं समझ पाता। लोग एक ओर कोरोना के मार से त्रस्त हैं, दूसरी ओर सोशल मीडिया उनके लिए थोड़ी राहत और कुछ हद तक मनोरंजन का भी साधन बन गया है।
जब चारों तरफ बदहाल स्थिति को देख मन बेबस और हताश हो जाता है, तब इन्हीं उभरते कलाकारों द्वारा इस भीषण परिस्थिति में भी मुस्कराने की वजह मिलती है। सोशल मीडिया एक अवसर की तरह है, जिसका उपयोग संभाल कर सकारात्मक हासिल के लिए करना चाहिए। यह लोगों के लिए मनोवैज्ञानिक तौर पर एक बड़ा सहारा बन रहा है, जहां खुद को अभिव्यक्त कर लोग अपने मन में दबे गुबार निकाल कर सहज रह पा रहे हैं। वरना किस तरह की निराशा, हताशा, दुख और कुंठाएं मन में जमा होकर कौन-सा रूप ले ले, कहा नहीं जा सकता।
-निशा कश्यप, दिल्ली