फिरोजपुर में रैली न हो सकने पर प्रधानमंत्री के काफिले को बीच राह से लौटना पड़ा। मगर जाते-जाते प्रधानमंत्री ने अधिकारियों से जो कहा, वह बेहद शर्मनाक है। ‘सीएम को मेरा धन्यवाद कहना कि मैं जिंदा बठिंडा एयरपोर्ट तक पहुंच आया।’ प्रधानमंत्री के इन शब्दों ने हम पंजाब के लोगों को आहत किया है। रैली न हो पाने के कारण चाहे कुछ भी रहे हों- मौसम का खराब होना, किसानों का आक्रोश या फिर पंजाब की संस्कृति का एक अलग मिजाज, जिसका भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे से तालमेल नहीं बैठ पाता। सुरक्षा में चूक का ठीकरा राज्य सरकार पर फोड़ने के पीछे भी मंशा यहां विपक्ष को बदनाम करने की रही, वरना प्रधानमंत्री का सुरक्षा घेरा कितना बड़ा और मजबूत है, यह कहने की जरूरत नहीं।
जनता का गुस्सा एक अलग मुद्दा है, लेकिन प्रधानमंत्री को यह नहीं भूलना चाहिए कि पंजाब की संस्कृति का सबसे खूबसूरत पक्ष स्वभाव का खुलापन और सिख-हिंदू भाईचारा है। चार दशक पहले के काले दौर और 1984 के दर्द को पंजाबियों ने इसी सौहार्द और संवेदना के दम पर झेला था।
कुछ मुट्ठीभर खालिस्तान समर्थक लोगों के कारण आपके लोग पंजाब के मेहनती किसानों को खालिस्तानी कहते रहे, इससे केवल सिख समुदाय नहीं, पंजाब का जनमानस विक्षुब्ध हुआ। फिरोजपुर की रैली में किसान काले झंडे दिखाते या कुछ नारे ही तो लगाते! लोकतंत्र में तो यह सामान्य चलन है। पता नहीं, प्रधानमंत्री को खतरा क्यों, और किससे महसूस हुआ!
शोभना विज, पटियाला