रेजिडेंट डाक्टरों की हड़ताल पर ताजा आक्रोश दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में फूटा। स्त्री रोग विशेषज्ञ डाक्टर के साथ मरीज के तीमारदारों ने बदतमीजी की। इसी तरह मुंबई, बंगलुरू, चंडीगढ़, भोपाल, लखनऊ और देश के अन्य शहरों में डाक्टरों के साथ मारपीट और अभद्रता की खबरें सुनने को मिलती रहती हैं। सरकारी अस्पतालों में सुरक्षात्मक इंतजाम बदहाल होते हैं, जिनकी वजह से रेजिडेंट डाक्टरों को अपनी ड्यूटी के दौरान हमेशा भय बना रहता है।
जब इनकी समस्याओं की कोई सुनवाई नहीं होती, तब ये हड़ताल पर जाने का फैसला करते हैं। प्रशासन और सरकार की तरफ से जब तक इनकी पर्याप्त सुरक्षा की गारंटी नहीं हो जाती, तब तक रेजिडेंट डाक्टरों का हड़ताल पर जाने का सिलसिला चलता रहेगा।
महामारी की तीसरी लहर के खतरे के अंदेशे में कोई बड़ी अनहोनी हो, इसके पहले सभी सरकारों को डाक्टरों को उचित सुरक्षा व्यवस्था के साथ कार्य क्षेत्र में भयमुक्त करना होगा तभी वे अपनी सेवाएं निर्बाध दे पाएंगे। पिछले वर्ष डाक्टरों के साथ स्वास्थ्यकर्मियों के किए गए योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है जो सभी के लिए प्रेरणादाई रहा है।
’नरेश कानूनगो, बंगलुरू