पिछले कुछ महीनों से घरेलू गैस दाल या खाद्य तेल हो, सब के दामों में काफी इजाफा हुआ है। अक्तूबर में महंगाई दर 6.77 फीसद था, जिसका अधिकतम मानक तय 6.0 फीसद किया गया है। लेकिन सरकार के खोखले वादों के कारण जनता लगातार महंगाई झेल रही थी। सरकार महंगाई को लेकर विशेष उपाय खोजने में असफल रही, जिसके कारण रिजर्व बैंक को पिछले अप्रैल से लेकर नवंबर तक पांच बार रेपो रेट में वृद्धि करनी पड़ी। रेपो रेट में बढ़ोतरी से खुदरा महंगाई तो कुछ कम हुई, लेकिन जनता को ब्याज दरें अधिक देनी पड़ेगी।

बड़े-बड़े वादे करने वाले सरकारी अभी भी महंगाई का कम करने का उपाय ढूंढ़ने में असफल है। एक रिपोर्ट के अनुसार 40 फीसद लोगों को महंगाई के कारण उनके बच्चों की शिक्षा और उनके स्वास्थ्य पर फर्क पड़ रहा है। शिक्षा भी महंगी हो गई है और खाने-पीने वाली वस्तुओं के दाम भी भारी इजाफा हुआ है, जिससे सामान्य वर्ग के लोग कुपोषित भोजन कर रहे हैं और लोग बीमार भी हो रहे हैं। कोरोना के बाद लोगों की आमदनी कम हुई और खर्च ज्यादा हो रहा है, जिससे लोग परेशान हैं। सरकार को इसका सही विकल्प खोजना होगा, जिससे आम जनता की परेशानी को टाला जा सके।

सचिन पांडेय, इलाहाबाद विवि