आयुर्वेदिक और एलोपैथी पेथी स्थान, काल और स्थिति अनुसार उपयोगी मानी जाती है, लेकिन बाबा रामदेव द्वारा आधुनिक चिकित्सा पद्धति यानी एलोपैथी को खारिज करने की कोशिश एक बेमानी विवाद को खड़ा करना है। विवाद बढ़ते देख और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रामदेव को पत्र लिखा और अब मामला ठंडा पड़ता दिख रहा है। लेकिन इस तरह की गतिविधियों को उचित नहीं माना जा सकता। हालांकि यह भी सही है कि कोरोना संक्रमित करोड़ों लोगों को जीवनदान एलोपैथी से मिला है, लेकिन आयुर्वेद की भी उपेक्षा नहीं की जा सकती। बल्कि सहायक चिकित्सा पद्धति के रूप में आयुर्वेद महत्त्वपूर्ण साबित हुआ है। इसलिए किसी भी पक्ष को किसी अन्य पक्ष को कमजोर बताना गलत है। हर चिकित्सा पद्धति स्वास्थ्य की रक्षा के लिए ही बनी है। जो जहां और जिस मामले में ज्यादा उपयोगी है, उसका इस्तेमाल वहां किया जाना चाहिए। इस तरह के विवाद अनावश्यक संदेह को जन्म देते हैं।
’बी एल शर्मा ‘अकिंचन’, उज्जैन, मप्र

चुनावी तैयारी
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने है। बंगाल में अपेक्षित कामयाबी नहीं मिल पाने के बाद 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भाजपा की नजर है। उत्तर प्रदेश में 2017 में भारी बहुमत से भाजपा सत्ता में आई थी। कई राजनीतिक दलों ने गठबंधन करके सरकार बनाने का प्रयास किया था, मगर मतदाताओं ने उन सभी को नकार दिया। इस बार सभी दल पहले से ही जोर-आजमाइश कर आगामी विधानसभा सभा चुनाव की रणनीति में लग गए हैं। अभी से भाजपा और संघ हर बैठक में उत्तर प्रदेश चुनाव की बात करते हैं।
दरअसल, सबको इस बात का अहसास है कि सत्तारूढ़ सरकार ने पंचायत चुनाव में हार का सामना किया है। इस पर शीर्ष स्तर पर पार्टी की नींद उड़ गई है। पंचायत चुनाव में हार जाना आगामी समय के लिए ठीक संकेत नहीं हैं। इसका सीधा असर विधानसभा चुनाव पर पड़ता है। अब देखना है कि उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों के नतीजों का कितना असर विधानसभा चुनावों पर पड़ता है।
’कांतिलाल मांडोत, सूरत, गुजरात

दोहरी मार

विश्वव्यापी कोरोना संक्रमण के चलते आमजन हैरान, बेचैन और परेशान है। दूसरी ओर पूर्णबंदी के चलते बेरोजगारी में तेजी से इजाफा हुआ है। पेट्रोल, डीजल की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। इन सबके चलते मजदूरी और अन्य छोटे-मोटे कामों पर निर्भर लोगों का जीवन दूभर हो गया है। ऐसे तमाम लोग हैं, जिन्हें दो जून की रोटी के लिए परेशान होना पड़ रहा है। बढ़ती महंगाई के चलते जीवन जीना दुश्वार हो गया है, लेकिन सरकार को इस तरह की त्रासदी से कोई फर्क नहीं पड़ता। वरना ऐसी लाचारी की हालत में पहुंचे लोगों के लिए वह आवश्यक मदद मुहैया कराने की जिम्मेदारी पूरी करती।
’सज्जाद अहमद कुरैशी, शाजापुर, मप्र