बरसात के मौसम का सभी बेसब्री से इंतजार करते हैं। अगर मानसून आने में देरी हो जाए तो हर तरफ बेचैनी होने लगती है। गर्मी से राहत पाने के लिए भी बारिश चाहिए और किसानों को खेती के लिए भी बारिश का इंतजार रहता है। इंसानों और जानवरों के पीने के लिए पानी की जरूरत भी बारिश से पूरी होती है। बारिश को लेकर बहुत से मधुर गीत भी बने हैं। लेकिन जब बारिश आती है तो सड़कों पर, नालियों में पानी भर जाता है।
सही निकासी नहीं होने की वजह से सड़कें तालाब बन जाती हैं और सभी को कहीं भी आने-जाने में परेशानी होती है। एक तरह से देखा जाए तो जलभराव के लिए प्रशासन जिम्मेदार है। नगर निगम या सरकारों की लापरवाही से चारों ओर अफरातफरी का माहौल बन जाता है। विडंबना यह है कि इस सबके लिए समाचार पत्रों में बारिश को मुसीबत के तौर पर पेश किया जाता है जो बिल्कुल सही नहीं है। यह प्रशासन की नाकामी है। इसलिए बारिश को मुसीबत का नाम देना बिल्कुल गलत है।
’चरनजीत अरोड़ा, नरेला, दिल्ली</p>