सरकारों को एक साथ चुनाव के मसले पर मनाना मुश्किल है, क्योंकि दलबदल के तहत कोई भी सत्ता से वंचित रहना नहीं चाहता और अपनी कुर्सी खोना भी नहीं चाहता, वरना डबल इंजन की सरकारें पहले भी रही हैं। विपक्ष की सरकार को भी मनाना मुश्किल है। वह भी एक साथ चुनाव स्वीकार नहीं करेंगे। ‘चुनाव का चक्र’ में उल्लेख है कि एक साथ चुनाव कराने की मांग हो रही है, यह मांग नई नहीं है, फिर भी यह तभी संभव है जब कि दलबदल करने वालों के संबंध में सबसे पहले सजा का कठोर प्रावधान किया जाए या केवल सियासत में दो दलीय व्यवस्था रहे, अन्यथा यह रेत पर मकान बनाने जैसा ही होगा।
वर्षों से चली आ रही एक साथ चुनाव की मांग को फिलहाल लागू करने में कठिनाई सबसे बड़ी यही है कि अनेक दलों की सरकार भी चल रही हैं।
- बीएल शर्मा ‘अकिंचन’, तराना, उज्जैन