सरकार ने 2021-22 के आम बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए जो घोषणाएं कीं, उस पर सभी के अपने-अपने विचार हो सकते हैं। इस बार बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए 99,300 करोड़ रुपए और कौशल विकास के लिए 3,000 करोड़ रुपए आवंटित करने किए गए हैं। नई शिक्षा नीति, नेशनल पुलिस यूनिवर्सिटी, डिग्री लेवल आनलाइन स्कीम, नेशनल फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी और मेडिकल कॉलेज और सौ नए सैनिक स्कूल खोलने का कदम महत्त्वपूर्ण है।

सरकार ने शिक्षा नीति में लगभग साढ़े तीन दशक बाद जो बदलाव किया है, वह सराहनीय प्रयास है। समय के साथ हर क्षेत्र में बदलाव होना चाहिए। लेकिन नई शिक्षा नीति देश की शिक्षा व्यवस्था को कितना बदल पाती है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। देश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। इसके साथ ही सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या भी घटती जा रही है। देश में बहुत से ऐसे गांव भी हैं, जिनसे आठवीं और दसवीं के विद्यालय बहुत दूर हैं और कुछ लोग तो इन विद्यालयों के दूर होने के कारण ही अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते।

असुरक्षा का यह एक बड़ा कारण है जिसकी वजह से गांवों में लड़कियां उच्च शिक्षा से वंचित रह जाती हैं। देश में शिक्षा का गरीबों के लिए प्रावधान करना मुश्किल ही नहीं, बल्कि तब तक नामुमकिन है जब तक देश में जनसंख्या वृद्धि और इस कारण बढ़ती गरीबी की समस्या को दूर नहीं किया जाता। रोजगार उपलब्ध कराना सरकारों के वश से भी बाहर होता जा रहा है, ऐसे में सरकारों के शिक्षा और रोजगार के प्रयास भी बौने होते जा रहे हैं।
राजेश कुमार चौहान, जलंधर