बिहार में एक बार फिर महागठबंधन की सरकार अस्तित्व में आई है। इस बार जदयू के विधायकों की संख्या पिछली सरकार की तुलना में कम है, इसलिए आमजनों में यह धारणा बन चुकी है कि इस बार राजद का हस्तक्षेप अधिक होगा। हालांकि तेजस्वी यादव के पास राजद की छवि को बदलने का अवसर है। चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी यादव ने दस लाख नौकरी देने का वादा किया था। अब उन्हें अपना वादा पूरा करने का समय आ गया है। बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण हावी रहता है, लेकिन विगत दो लोकसभा चुनावों में जातीय समीकरण से ऊपर उठकर युवाओं ने मतदान किया है, इसलिए महागठबंधन की सरकार जातीय राजनीति को भूलकर संपूर्ण बिहार की भलाई के लिए कार्य करना चाहिए।
- हिमांशु शेखर, केसपा, गया