प्रकृति मानव जीवन की बुनियाद है। हिमालय मनुष्य के लिए प्राकृतिक का सबसे बड़ा तोहफा है। लेकिन मनुष्य अपनी लिप्सा से कुदरत की इस देन को भारी नुकसान पहुंचा रहा है। पहाड़ और पर्वत सिर्फ भौगोलिक स्थिति को ही बयां नहीं करते, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा भी प्रदान करते हैं।

जब-जब हिमालय और उसके अंतस में बसी भूगर्भीय ऊर्जा पर आक्षेपण होगा, तब-तब चारों तरफ से तमस घिरेगा। किसी राज्य विशेष के दर्जे की मानसिकता से ऊपर उठ कर पूरे भारत के हिमालयी उत्तुंग पर हमें विचार करना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ी निर्बाध रूप से प्रकृति की गोद में रह सके। सरकार और समाज को इस विषय पर समय-समय पर संवाद स्थापित करना होगा, ताकि प्रकृति के अंधाधुंध दोहन को रोका जा सके।
’देवेश त्रिपाठी,संत कबीर नगर (उप्र)