प्रवासी पक्षियों का प्रजनन हेतु हजारों मील की उड़ान भर कर भारत में आने और फिर पांच-छह माह बाद अपने छोटे बच्चों को लेकर वापस लौट जाने की प्रक्रिया हर वर्ष होती है। इसका प्रमुख कारण वहां पर बर्फ का जमना रहा है। नदियों, झीलों के जम जाने से उन्हें आहार की परेशानी पैदा हो जाती है। अब कई पक्षियों की प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर हैं।

लुप्तप्राय प्रजातियों को नियंत्रित परिस्थितियों में संरक्षित रखने हेतु केवल नैसर्गिक स्थान और वातावरण विश्वसनीय समाधान है। दुर्लभ और मरणोन्मुख पक्षियों को सुरक्षित रखने, उनकी वंश वृद्धि की ओर ध्यान देने का लक्ष्य और कर्तव्य सुनिश्चित करना होगा। साथ ही संरक्षित स्थानों को दूषित वातावरण से मुक्त रखना होगा।

अवैध शिकार करने वालों पर कड़ी कार्रवाई भी सुनिश्चित करनी होगी, ताकि प्रवासी पक्षियों में वृद्धि दिखाई दे, उनकी लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाया जा सके। इसी तरह प्राकृतिक आपदा, मौसम के पूर्व संकेत बताने वाले पक्षियों को बचाया जा सकेगा।

’संजय वर्मा ‘दृष्टि’, मनावर, धार