संपादकीय ‘बेलगाम महंगाई’ (15 दिसंबर) आसमान छूती कीमतों के कारण लोगों के जीवन में पीड़ा का वर्णन करने वाला था! लोगों ने वर्तमान सरकार को इसलिए सत्ता सौंपी थी कि चीजों की कीमतें कम होंगी, रोजगार बढ़ेगा, आमदनी बढ़ेगी, भ्रष्टाचार कम होगा, सुशासन होगा! लेकिन अफसोस कि इनमें से कोई भी बात देखने को नहीं मिलती!
कोरोना के कारण देश में मंदी के फलस्वरूप बेकारी बढ़ी है, लोगों की आमदनी कम हो गई है, सरकार की गलत नीतियों के कारण रसोई गैस, पेट्रोल, खाने के तेल आदि लोगों की पहुंच से दूर होते जा रहे हैं। दालें, सब्जियां, शिक्षा, चिकित्सा सुविधाएं आदि इतनी महंगी हो गई हैं कि लोगों की आमदनी खर्चे के मुकाबले में बहुत कम पड़ गई है।
प्रधानमंत्री देश हित के लिए बहुत सारी बातें कहते हैं, लेकिन आम जनता को राहत पहुंचाने के लिए महंगाई पर नियंत्रण पाना उनके एजेंडे से शायद बाहर है। सरकार को लोगों के जीवन को सुविधाजनक बनाने के लिए उन्हें तुरंत अपनी नीतियों में इस प्रकार से परिवर्तन करना चाहिए कि लोगों को रोजगार मिले, उनकी आमदनी बढ़े, बेकारी का समाधान हो तथा आसमान छूती कीमतों पर नियंत्रण हो!
’शाम लाल कौशल, रोहतक, हरियाणा