दुनिया के कुल वाहनों में से भारत में सिर्फ एक प्रतिशत हैं, मगर दुनिया भर में सड़क दुर्घटनाओं से मरने वालों में भारत के ग्यारह प्रतिशत लोग हैं, जो विश्व में सबसे अधिक है। इसके लिए सड़कों की खस्ता हालत, सड़कों की दोषपूर्ण संरचना, सड़कों पर अतिक्रमण और पुराने और खटारा वाहन जैसे कारक जिम्मेदार हैं।
इनमें से पुराने और खटारा वाहन जो दुर्घटनाओं और प्रदूषण के लिए ज्यादा जिम्मेदार हैं, उनको सड़कों से हटाने के लिए सरकार ने हाल ही में दो उपाय किए हैं। पहला है वाहन कबाड़ नीति, जिससे पुरानों वाहनों की जगह नई प्रौद्योगिकी वाले, कम खपत और अधिक सुरक्षित वाहन लेंगे। दूसरा है आठ वर्ष से अधिक पुराने व्यावसायिक वाहनों और पंद्रह वर्ष से पुराने निजी वाहनों पर हरित कर लगाना। यहां सरकार को ये सुनिश्चित करना होगा कि बदले में आने वाले नए वाहन आधुनिक और र्इंधन दक्ष हों और कबाड़ का पुनर्चक्रण वैज्ञानिक तरीके से हो, ताकि पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचे। हर नया कर महंगाई बढ़ाता है, इसलिए सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हरित कर से परिवहन लागत और महंगाई न बढ़े।
’बृजेश माथुर, बृज विहार, गाजियाबाद, उप्र
दखल का तकाजा
म्यांमा में सेना ने सता अपने हाथ मे लेने के बाद सैनिकों की बर्बरता के मद्देनजर दुनिया में चिंता जाहिर की जा रही है। तख्तापलट के बाद जिस तरह प्रदर्शनकारियों पर सेना गोलियों की बौछार कर रही है, यह अमानुषिक कृत्य अफसोसनाक है। चीन का म्यांमा ने बहुत बड़ा आर्थिक निवेश है और चीन नहीं चाहता है कि वहां उसकी पूंजी प्रभावित हो। पाकिस्तान में भी चुनी हुई सरकार का तख्तापलट हुआ है। दरअसल, छोटे देशों के पास लोकतांत्रिक मूल्यों को बहाल करने की शक्ति नहीं है।
पड़ोसी देश भारत, चीन और पाकिस्तान से एक छोटा देश क्या उम्मीद रख सकता है। चीन और भारत ठान ले तो कुछ ही समय में म्यांमा में शांति स्थापित हो सकती है। लेकिन चीन अपने हितों के लिए सोच रहा है और भारत किसी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता है। लेकिन यह नजरिया गलत है। अपने हितों को दूर रख कर चीन और भारत को आगे आना चाहिए। सेना के हाथों निर्दोष लोगों की मौत का तमाशा नहीं देख सकते है। जो देश पड़ोसी होते हुए पड़ोसी देश की मदद नहीं कर सकते है। उनको इतराना नहीं चाहिए। पाकिस्तान की सहानुभूति म्यांमा के लिए इसलिए है कि पाकिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार है। बस इतनी उनकी हमदर्दी जरूर है। ऐसे में भारत को किसी भी चीज का मलाल रखे बिना म्यांमा में आई समस्या को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए।
’कांतिलाल मांडोत, सूरत, गुजरात