देश में कई राज्यों में बरसात जारी है और कुछ राज्यों में बाढ़ जैसे हालात भी बने हैं। हर साल केंद्र और राज्य सरकारों के द्वारा जल संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि हम वर्षा के जल का संचयन ही नहीं कर पाते हैं। देश की लगभग पैंसठ फीसद खेती आज भी मानसून की बारिश पर निर्भर है। सामान्य तौर पर मई के अंत या जून के शुरू में मानसून भारत पहुंचता है। अगर इस दौरान हुई वर्षा अच्छी होती है, तो पूरी अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा के लिए एक बेहतर संकेत जाता है।

पिछले तीन वर्षों से मानसून के दौरान हुई अच्छी वर्षा के कारण देश में अनाज, दालों और तिलहनों का अच्छा उत्पादन हुआ है, जिससे कीमतों पर दबाव बना हुआ है। अगर देश के भौगोलिक क्षेत्रफल को देखा जाए तो भारत में 329 मिलियन हेक्टेयर मीटर वर्षा होती है। इसमें से पचहत्तर फीसद जल की प्राप्ति दक्षिण-पश्चिमी मानसून (जून-सितंबर तक) से होती है। बाकी जल की प्राप्ति शेष आठ महीनों में होती है। इस जल का एक बड़ा भाग (215 मिलियन हेक्टेयर मीटर) जमीन में सोखा जाता है, जबकि सत्तर मिलियन हेक्टेयर मीटर का वाष्पीकरण हो जाता है। भारत में एक अनुमान के आधार पर शुष्क तथा अर्ध शुष्क क्षेत्रों में कुल वर्षा का सत्तर फीसद, जबकि आर्द्र क्षेत्रों में पचास फीसद ही प्रभावकारी होता है।

बदलते परिदृश्य में किसानों और ग्रामीणों को खेत का पानी खेत में और गांव का पानी गांव में संरक्षित करने का संकल्प लेना चाहिए। हमारे ये कदम आने वाली पीढ़ियों के लिए मददगार साबित होंगे। आज जल संसाधनों का अत्यधिक दोहन होने से देश के ग्रामीण और शहरी में पानी का संकट गहराता जा रहा है। इससे जीडीपी समेत व्यापार, शिक्षा, संस्कृति, रोजगार, स्वास्थ्य और रिश्ते-नाते तक बुरी तरह प्रभावित होने लगते हैं। इसलिए यह प्रयास करना चाहिए कि वर्षा जल की बर्बादी को रोका जा सके और आने वाले कल को सुरक्षित किया जा सके।

घरेलू उपायों से भी वर्षा के जल का संचयन किया जा सकता हैं। इसके लिए छोटे-छोटे उपाय करने होंगे। वहीं ग्राम पंचायत के तालाबों की सफाई, सोकपिट गड्ढों का निर्माण कर उनमें भी वर्षा के जल का संचयन किया जा सकता हैं। इसमें न केवल फसलों की सिंचाई होगी, बल्कि भूगर्भ जल को भी बढ़ावा मिल सकेगा। जल संरक्षण के प्रति एक ऐसी जागरूकता हो, जिसमें छोटे से बच्चे से लेकर बड़े-बूढ़े भी पानी को बचाना अपना दायित्व समझें।
’गौतम एसआर, भोपाल, मप्र