आज कांग्रेस भले सत्ता से दूर हो, लेकिन जब भी चुनाव आते हैं, विभिन्न राजनीतिक दल से पैराशूट से उतर कर नेता इसमें आते हैं और पार्टी का टिकट लेकर चुनाव लड़ते हैं। लंबे समय से जुड़े कांग्रेस के कार्यकताओं और संकट में कांग्रेस का साथ देने वाले नेताओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है। समूह तेईस के नेताओं और वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पार्टी अध्यक्ष पर भी कई सवालिया निशान खड़े कर दिए।
आखिरकार इस प्रकार के महत्त्वपूर्ण निर्णय ले कौन रहा है। यही हालत रही तो आने वाले दिनों में कांग्रेस शायद बिल्कुल समाप्ति की ओर कदम बढ़ाएगी। पैराशूट से आने वाले नेताओं पर विराम लगाना होगा और कांग्रेस को इस बात का ध्यान रखना होगा कि अपने असली कार्यकर्ताओं को किसी कीमत पर नजरअंदाज न करे। अगर अपनी खोई हुई जमीन वापस चाहिए तो उसके लिए विभिन्न तरह से प्रयास करने होंगे। समय और वक्त की पहचान करते हुए आगे बढ़ना होगा।
’विजय कुमार धानिया, नई दिल्ली</p>