बीते कुछ समय से चीन की तरफ तो यही साबित हो रहा है कि वह भारत के लिए सिरदर्द बना रहेगा। पहले उसने अरुणाचल प्रदेश के पंद्रह स्थानों का चीनी और तिब्बती भाषा में नामकरण किया, फिर अपने इलाके की गतिविधियों का एक वीडियो बना कर जारी किया और बताया कि वह गलवान घाटी का है। चीन एक अरसे से न केवल तिब्बत को अपना अभिन्न अंग बताता रहा है, बल्कि पूर्वोत्तर भारत पर भी दावा कर रहा है। इससे यह तय है कि वह आगे भी भारत को उकसाने वाली हरकत करता रहेगा।

मगर भारतीय सेना ने इसका पर्दाफाश करते हुए गलवान घाटी में तिरंगा लहराते भारतीय सैनिकों की दो तस्वीर जारी की हैं। चीनी सेना (पीएलए) ने अपने वीडियो में चीन का झंडा लहराते हुए अपने सैनिकों की एक छोटी फुटेज जारी किया था। तभी से यह मामला भ्रम का बना हुआ था, जिसे भारतीय सेना ने दूर किया है, क्योंकि चीन अब तो दुष्प्रचार पर भी उतर गया है। इसलिए उसे न केवल उसकी भाषा में जवाब दिया जाना चाहिए, बल्कि तिब्बत, हांगकांग और ताइवान के मामले में पुरानी नीतियों पर नए सिरे से विचार करना चाहिए।

इसी के साथ इस नीति पर भी ध्यान देना होगा कि आखिर एक चीन की नीति पर प्रतिबद्धता जारी करने का क्या औचित्य और वह भी तब, जब चीन भारत की संप्रभुता की अनदेखी कर रहा है? मालूम हो कि चीनी सेना और भारतीय सेना ने कुछ दिन पहले आपस में मिठाई बांटी और खिलाई तथा कुछ ही घंटे के बाद इस भ्रम भरी घटना को अंजाम दिया, जिससे सिद्ध होता है कि वह मौके का फायदा उठा कर भारत के लिए समस्या खड़ा करना चाहता है। इसलिए घाटी की सुरक्षा-व्यवस्था को दुरुस्त करने के साथ-साथ उसके आसपास और तीनों सेनाओं की सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करना होगा।

एस. कुमार, चंदवारा, लालगंज