ममता बनर्जी की सत्ता में वापसी के बाद बंगाल में व्यापक पैमाने पर हुई हिंसा के दोषियों को सजा अभी नहीं मिल पाई थी कि एक टीएमसी नेता की हत्या के बाद भड़की हिंसा में दस लोगों को जिंदा जला दिया गया। हत्या का कारण पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई बताया जा रहा है।
बंगाल शासन को लज्जित करने वाली इन घटनाओं से शायद ममता दीदी ने कोई सबक नहीं सीखा, जिससे बंगाल में राजनीतिक हिंसा आम बात हो गई है, जो कानून-व्यवस्था और लोकतंत्र दोनों के लिए चिंताजनक है। बंगाल की जनता को परिवर्तन का सपना दिखा कर सत्ता में आई दीदी भी वामदलों के ढर्रे पर चलती दिख रही हैं। बंगाल में कानून-व्यवस्था सुदृढ़ करने के बजाय दीदी राज्यपाल को उनका कार्य समझाने में अधिक व्यस्त दिखाई दे रही हैं।
- निक्की सचिन जैन, मुजफ्फरनगर