आगामी विधानसभा चुनावों के लेकर हर ओर बहस छिड़ी है। सियासी पार्टियां चुनाव समय पर करवाने के लिए रायशुमारी करा रहीं हैं और हो सकता है कि चुनाव आयोग इस बात पर सहमत हो और चुनाव का कार्यक्रम भी जल्द घोषित कर दे। वैसे अब तक हर पार्टी अपने प्रचार पर करोड़ों रुपए फूंक चुकी है, जो चुनाव टलने से मिट्टी में मिल जाएंगे।

सत्ता पाने के लिए पक्ष और विपक्ष की अपनी-अपनी सोच काम कर रही है। विपक्ष कोरोना संक्रमण के दौर में बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के सपने देख रहा है, तो सत्ता पक्ष अपनी विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के बलबूते पर वापसी की उम्मीदें लगाए बैठा है।

देश में कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता को करोड़ों भारतीय झेल चुके हैं। अगर चुनावों के दौर में, संभावित तीसरी लहर ने कहर बरपाना शुरू कर दिया तो भगवान ही मालिक है। सत्ता पाने के लालच में खेले जाना वाला यह खेल नहीं होना चाहिए। गत वर्ष हुए बंगाल, बिहार के चुनावों के बाद कोरोना ने क्या असर दिखाया था, किसी से छिपा नहीं है।

आजकल के हालात को देखते हुए जनता की हिफाजत ही समय का तकाजा है। ऐसे आतंकित और भयाक्रांत वातावरण में सत्ता के लिए जनता की जान से खेलने का यह समय कदापि नहीं है। चुनाव आयोग को चुनाव कराने को लेकर बहुत सोच-समझ कर फैसला लेना चाहिए।
’नरेश कानूनगो, बंगलुरु