अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की दो दिवसीय भारत यात्रा कई बिंदुओं को चिह्नित करती है। सत्ता में जो बाइडेन के आने के बाद उनकी भारत यात्रा दोनों लोकतंत्रों के बीच पारस्परिक साझेदारी को और अधिक मजबूत बनाती है। यह आशा थी कि एंटनी ब्लिंकन की भारत यात्रा निश्चित रूप से महत्त्वपूर्ण बिंदु पर होगी, चाहे वह अफगानिस्तान को लेकर हो, कोविड टीकाकरण, भारत के क्वाड गठबंधन या चीन का मुकाबला करने के मामलों को हल करने के लिए हो। लेकिन मंत्री इससे भी आगे बढ़ते हैं जैसे कि राजनयिक वार्ता भारत का दौरा करने और आंतरिक मामलों में अधिक ध्यान देने का एक तरीका था।

एंटनी ने किसानों के कानून और विरोध, सीएए और लोकतंत्र के मापदंडों की क्रॉस चेकिंग के बारे में वकीलों, कार्यकर्ताओं और तिब्बती भिक्षुओं के साथ अनौपचारिक रूप से बात करने के लिए पर्याप्त समय निकाल लेते हैं। यह कितनी बड़ी विडंबना है कि वही अमेरिका का लोकतंत्र पिछले साल कैपिटल हिल हमले में शर्मसार हो गया था।

एंटनी ने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका लोकतंत्र को विकसित कर रहे हैं। अगर भारत के किसी मंत्री द्वारा अमेरिका की यात्रा के दौरान ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ मामलों, ‘कैपिटल हिल’ हमले और अन्य लोगों के साथ बात करते हुए यही किया जाए, तो क्या यह अमेरिका के लिए उपयुक्त होगा? अमेरिका न तो है मास्टर और न ही लोकतंत्र का डॉक्टर!
’अमन जायसवाल, दिल्ली विवि, दिल्ली