मीडिया का बेहद चर्चित सूत्र वाक्य है कि ‘जो दिखता है वही बिकता है’। इसी के सहारे वह संवेदनाओं को भी बेचने से चूक नहीं रहा। विभिन्न समाचार चैनलों के संपादक, जो स्टूडियो में बैठ कर व्यवस्था को कोसते नहीं थकते और स्वयं आलीशान बंगलों में रहते और महंगी गाड़ियों में घूमते हैं, उन्हीं के चैनलों में जब अचानक बिना बताए कर्मचारियों की छंटनी हो जाती है, तब वे चूं तक नहीं करते। स्पष्ट है कि खुद को पत्रकार कहने वाले और वास्तव में विशुद्ध निवेशक और व्यवसायी का रवैया रखने वाले ऐसे लोगों और पत्रकारिता के बीच का द्वंद्व तभी खत्म हो सकेगा, जब हम पंूजी के मोह से मुक्त होकर विशुद्ध पत्रकारिता के बारे में सोचेंगे।
’हरमिंदर कौर, बाबा फरीद कॉलेज, बठिंडा