रोजाना समाचार आ रहे हैं कि अलगाववादी कश्मीर घाटी में स्कूलों को नहीं चलने दे रहे हैं और स्कूल भवनों को आग लगाकर बरबाद कर रहे हैं। आतंकवादी अपने लिए अशिक्षित और बेरोजगार युवकों की नई पीढ़ी चाहते हैं, जो उनके इशारे पर पत्थरबाजी कर सके और जिन्हें वे आतंकी हमलों के लिए अपनी ढाल बना सकें। ऐसी आतंकवादी सोच को खत्म करना होगा। शिक्षा विश्व का सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसके जरिए सामाजिक परिवर्तन लाया जा सकता है। सरकार का आतंकवादियों से सैनिक तरीके से निपटाना उचित है। भविष्य में उकसावे में आकर किसी नवयुवक के कदम आतंकवाद की राह पर न बढ़ें इसके लिए सर्वसुलभ रोजगार, शिक्षा, खेलकूद, चिकित्सा, स्वस्थ मनोरंजन, स्वस्थ विचारों, प्रत्येक नागरिक की न्यूनतम आय का निर्धारण और विकास को हर दरवाजे तक पहुंचाना होगा।

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हमें हिंसा का जवाब पूरी ताकत से संविधान की मंशा के अनुरूप एक शिक्षित, कल्याणकारी और न्यायकारी राज्य बना कर देना चाहिए। इसी में सत्य और न्याय की जीत और आतंकवाद की समाप्ति है। हमारा पूरा फोकस सृजन पर होना चाहिए न कि विनाश पर। अंधकार का अस्तित्व तभी तक है जब तक प्रकाश का अभाव है। लाठी लेकर अंधेरे को भगाने से अंधेरा नहीं भागेगा। एक दीप जलाने से अंधेरा अपने आप भाग जाएगा। शिक्षा और रोजगार रूपी दीप से दीप जला कर अंधेरे रूपी अलगाववाद और आतंकवाद को भगाना है।
’पीके सिंह पाल, लखनऊ</p>