खाद्य पदार्थों और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं पर अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) अंकित होना निस्संदेह अच्छा कदम है पर इससे उपभोक्ताओं का शोषण भी होता है। उत्पादों की असल लागत कितनी है, यह किसी को पता नहीं चलता। जब तक मुनाफे की सीमा तय नहीं कर दी जाती तब तक उपभोक्ता ठगा जाता रहेगा। सरकार को इस बारे में कानून बनाना चाहिए जिससे मुनाफा कमाने की अंधी होड़ और महंगाई पर लगाम लगाई जा सके। उत्पादों पर उनमें मौजूद सभी प्रकार की निर्माण सामग्री की लागत, मजदूरी और मुनाफे का प्रतिशत स्पष्ट रूप से अंकित होना चाहिए ताकि उपभोक्ता को मालूम हो सके कि लागत और मुनाफे का अनुपात क्या है। एमआरपी और निर्माण लागत स्पष्ट रूप से अंकित होने पर उपभोक्ता के हितों की सुरक्षा हो सकेगी।
’वेद प्रकाश, सेक्टर 7 एक्सटेंशन, गुडगांव
चौपाल: मुनाफे की सीमा
जब तक मुनाफे की सीमा तय नहीं कर दी जाती तब तक उपभोक्ता ठगा जाता रहेगा।
Written by जनसत्ता

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First published on: 12-10-2016 at 04:52 IST