केंद्र सरकार ने भारत को पांच लाख करोड़ रुपए की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा है। लेकिन हाल में जारी विश्व बैंक के रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था पांचवे स्थान से फिसल कर सातवें पायदान पर पहुंच गई। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था की जीडीपी का आकर 2762.32 अरब डॉलर का रहा और भारत को अगर पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करना है तो 2025 तक लगातार आठ फीसद की वृद्धि दर बनाए रखना जरूरी है। लेकिन जनवरी-मार्च के तिमाही के आकड़े निराशाजनक हैं क्योकि इस तिमाही जीडीपी वृद्धि 5.8 फीसद रही जो पिछले पांच साल में सबसे कम है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार इस वक्त भारतीय अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है और सरकार आर्थिक मोर्चे पर अब तक असफल रही है क्योंकि कई क्षेत्रों की कंपनियों में छंटनी शुरू हो गई है।
वाहन-कलपुर्जा उद्योग में लाखों नौकरी जा रही हैं। मोबाइल हैंडसेट उद्योग में ढाई लाख नौकरी चली गई हैं। भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं। ऐसे कई उदहारण अर्थव्यवस्था के बुरे हालत दर्शा रहे हैं। डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होने के वजह से देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी 72.7 करोड़ डॉलर घट गया है।
अगर देश को 2025 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करना है तो अर्थव्यवस्था में संचरनात्मक सुधार करने के साथ-साथ तकनीक एवं कौशल शिक्षा को महत्त्व देना होगा, कृषि क्षेत्र में सुधार करने होंगे, बेरोजगारी खत्म करने के उपाय तलाशने होंगे।
’निशांत महेश त्रिपाठी, कोंढाली, नागपुर</p>
