देश की सेना के जवान आए दिन शहीद हो रहे हैं लेकिन पाकिस्तानी उच्चायुक्त गलती मानना और निंदा करना तो दूर, उलटे हमारी धरती पर ही गुर्रा रहे हैं। उधर देश के गृहमंत्री कह रहे हैं कि हम, गोलियों की गिनती नहीं करेंगे। लेकिन सवाल है कि कब? कितने और जवानों के शहीद होने के बाद होगी गोलियों की वर्षा? क्या दुश्मन पर गोलियां गिन-गिन कर चलाई जाती हैं? इस सबसे तो लगता है कि यह कोरी बयानबाजी है। आज केंद्र का सत्ता पक्ष अपने विपक्ष के दौर को याद करते हुए उसमें चला जाए तो शायद पाकिस्तान और चीन सुधर जाएं। लेकिन न जाने क्या मजबूरी है जो इन देशों के अघोषित हमलों के विरुद्ध कोई कारगर कार्रवाई नहीं हो रही?

यश वीर आर्य, देहरादून