अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आइएमएफ द्वारा चालू वर्ष 2023 तक भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 3.75 खरब डालर तक अनुमानित किया है। पिछले तीन दशकों का भारत का आर्थिक सफर बहुत शानदार रहा है और इससे यह आत्मविश्वास भी पैदा हुआ है कि आने वाले वर्षों में भारत विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति निश्चित रूप से बनेगा।

पर इस बात का विश्लेषण करना भी अत्यंत आवश्यक है कि क्यों चीन और अमेरिका तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। अगर पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों को देखें तो भारतीय अर्थव्यवस्था का कद 0.55 (2.84 से 3.39) खरब अमेरिकी डालर बढ़ा है, जबकि चीन और अमेरिका की अर्थव्यवस्था के जीडीपी का आकार क्रमश: 3.76 खरब तथा 4.08 खरब डालर बढ़ा है।

आखिर ऐसा क्या पिछले कुछ वर्षों में घटित हुआ है, जिसकी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार को तुलनात्मक रूप से इन दोनों से कम रहा। इसके बावजूद आगामी कुछ वर्षों में भारत के लिए विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनने की बात कोई अतिश्योक्ति नहीं है।

लगता है कि आने वाले समय में भारत की आर्थिक नीतियों में एक बार फिर से आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिलेगा। पिछले तीन दशकों की आर्थिक प्रगति का श्रेय इस दौरान आर्थिक सुधारों को भी जाता है, जिसने बड़ी तेजी से भारत को विश्व की पांचवीं बड़ी आर्थिक महाशक्ति के मुकाम पर ला खड़ा किया है।
एमएम राजावतराज, शाजापुर, मप्र।

प्रकृति का रास्ता

इस साल दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर इतना बढ़ गया कि वह लाल किले की दीवार तक पहुंच गया। बताया जा रहा है कि यह वही रास्ता है, जिस रास्ते नाव में बैठकर पहली बार मुगल बादशाह शाहजहां लाल किला देखने के लिए गए थे। वर्तमान समय में जो यमुना नदी पानी की कमी और निर्माण आदि के कारण सिकुड़ गई थी, असल में वह इस बार अपने पुराने और वास्तविक मार्ग पर गई।

दिल्ली और लाल किले के आसपास इलाके में रहने वाले लोगों के लिए भले ही ये मुश्किल का समय है, पर सबको यह सोचना होगा कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर मनुष्य अपने लिए कितना भी आशियाना बना ले, लेकिन समय आने पर प्रकृति अपना रौद्र रूप अवश्य दिखाती है।

हम मनुष्य हमेशा से ही अपनी जरूरतों के हिसाब से प्राकृतिक संसाधनों के साथ छेड़छाड़ करके उन्हें अपने अनुरूप प्रयोग में लाने की कोशिश में रहते हैं और प्रत्युत्तर में हमें कई सारी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है जो मनुष्यों के लिए बहुत दुखदायी होता है।

कभी हम उद्योग लगाने या बहुमंजिला इमारत खड़ी करने के लिए जंगलों को काट देते है तो कभी अपनी जरूरत पूरी करने के लिए नदियों की दिशा बदल देते हैं या उन्हें संकुचित करने की कोशिश करते हैं और इसके बदले हमें प्रकृति की ओर से अनेक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। जंगलों को काटकर इतना छोटा बना दिया गया है कि अब जंगली जानवर रिहाइशी इलाकों में घुसकर इंसानों पर हमला करने पर मजबूर हो गए हैं।

शायद अभी भी समय है कि हम सोच सकें कि पृथ्वी पर मानव जीवन के लिए अन्य जीवों का जिंदा रहना और तमाम प्राकृतिक स्रोतों की उपस्थिति अनिवार्य है, ताकि पृथ्वी पर संतुलन बना रहे। मानव होकर हमें ही यह कोशिश करनी होगी कि हमारे साथ अन्य जीव-जंतु भी इस पृथ्वी पर जीवित रह सकें।
आरती कुशवाहा, गुरुग्राम।

उदासीनता का हासिल

देश की राजधानी दिल्ली थोड़ी-सी बारिश में ही पानी-पानी हो जाती है। आरोप-प्रत्यारोप का अंतहीन सिलसिला चल पड़ता है। लेकिन इससे उन समस्याओं का क्या वास्ता, जिन्हें दूर किया जाना है? यहां दलों की बात नहीं है, दृष्टि की बात है। ब्रिटेन द्वीपीय देश है। वहां साल भर वर्षा होती है। मगर कहीं बारिश का पानी जमा नहीं होता है, क्योंकि वहां के योजनाकारों ने इस तरह से शहरों की योजना बनाई है।

हमारे देश में सब कुछ कागजों में ही सिमटा रहा है। नियम ऐसे बनाए गए, जिसमें निम्न मध्यवर्गीय एवं गरीबों के लिए शहरों में जगह ही नहीं है। यत्र-तत्र बसावट। इसी का नतीजा है कि शहर बेतरतीब से लगते हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि नियम ऐसे बनाए जाते हैं, जिसका पालन व्यवहार में असंभव हो, ताकि भ्रष्टाचार के लिए सुराख बचे रहें।

अब वक्त आ गया है जब गांव से शहर की ओर लोगों ने रुख किया है तो बेहतर योजना से शहर बसाने के बारे में हम सोचें, अन्यथा आने वाले वक्त में किसी भी बरसात में यही स्थिति सामने आएगी।
मुकेश कुमार मनन, पटना।

शिखर की ओर

एक तरफ दुनिया बहुत तेजी से विकास की ओर अग्रसर हो रहा है। वहीं भारत में भी मंगलयान, चंद्रयान फिर गगनयान की तैयारी के साथ चंद्रयान-तीन प्रक्षेपित कर दिया गया है। अगर चंद्रयान-तीन अभियान पूरी तरह सफल होता है तो भारत ऐसा करने वाला विश्व का चौथा देश होगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन चंद्रमा पर अपने यान उतार चुके हैं। आज विश्व की निगाहें भारत की ओर हैं।

अंतरिक्ष की दुनिया में भारत शून्य से शिखर तक पहुंच गया है। चंद्रयान-तीन इसका ताजा उदाहरण है। भारत ने इससे पहले सबसे कम बजट में मंगलयान को सफल किया और फिर एक साथ सबसे अधिक उपग्रहों को एक साथ भेजना आने वाले समय में भारत को दुनिया में खास जगह दे सकता है। वैसे भी भारत लगातार नवाचार के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।
दुर्गेश मिश्रा नंदिनी, दिल्ली।

सर्पदंश की दवा

अखबारों में लगभग प्रतिदिन सर्पदंश की घटनाएं पढ़ने को मिलती हैं। गर्मी और बरसात के मौसम में सांप काटने की घटनाएं ज्यादा होती हैं। ग्रीष्म ऋतु की अपेक्षा वर्षा ऋतु में सर्पदंश की दुर्घटनाएं अधिक होती हैं। हमारा भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां प्रति वर्ष अनेक किसान सर्पदंश का शिकार हो जाते हैं। खेतों में काम करते हुए किसानों को अक्सर सांप काट लेते हैं।

वर्षा ऋतु में तो सिर्फ ग्रामीण इलाके में ही नहीं, जंगल से सटे शहरी क्षेत्रों में भी विषधर सांप प्रकट हो जाते हैं। सर्पदंश के शिकार मरीज को अस्पताल ले जाने पर भी अधिकांश अस्पतालों में सर्पदंश की दवा उपलब्ध नहीं होती है। सरकार को चाहिए कि वह सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में सर्पदंश की दवा मुहैया करवाए। सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में सर्पदंश की दवा अनिवार्य हो।
अनित कुमार राय टिंकू, धनबाद।