हालांकि सरकार ने कोरोना महामारी काल में उत्पन्न संकट को देखते हुए किसी पर अतिरिक्त कर भी नहीं लगाया। इस बजट को सब अपने-अपने दृष्टिकोण से सही और गलत बता रहे हैं। अन्य बजटों की तरह इस बार भी बजट में बड़े-बड़े वादे किए गए हैं और बड़ी-बड़ी राशियों की घोषणा की गई है, जो अच्छी बात है।
लेकिन इन सब को धरातल पर उतारना सरकार के लिए जो बड़ी चुनौती होगी, वह है देश में लगातार बढ़ता भ्रष्टाचार। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी भ्रष्टाचार सूचकांक में एक सौ अस्सी देशों की सूची में भारत छियासीवें स्थान पर है, जबकि पिछले वर्ष भारत का स्थान अस्सीवां था, यानी हम छह पायदान और खिसक गए।
यह इस बात का प्रमाण है कि हम भ्रष्टाचार को रोकने में उतने सफल नहीं हुए, जो हमने सोचा था। इसलिए अब वक्त आ गया है कि सरकारों को बजट में भ्रष्टाचार रोकने के लिए विशेष कदम उठाने के लिए भी अलग से बजट रखना चाहिए। भ्रष्टाचार सूचकांक में हमारी स्थिति से लोगों का लोकतंत्र में विश्वास कम होने लगता है, प्रतिभाओं का दमन होता है और विदेशी निवेश भी प्रभावित होता है।
यह बात सही है कि भारत जैसे देश में भ्रष्टाचार तात्कालिक रूप से तो खत्म नहीं किया जा सकता है, लेकिन फिर भी इसके लिए सरकार कुछ शुरूआती कदम उठा सकती है। जैसे पहला उपाय आरटीआइ का बेहतर तरीके से क्रियान्वयन होना। दूसरे उपाय में हर योजना हर उद्देश के लिए एक निश्चित क्रम में सब की जवाबदेही तय होनी चाहिए।
तीसरा उपाय यह कि सरकारें खुद जागरूकता अभियान चलाएं जैसे सरकार ने कोरोना महामारी के प्रति जागरूक रखने के लिए लोगों के मोबाइल पर महामारी से सतर्क रहने की सूचना दी जाती है। कुछ ऐसे ही कदम भ्रष्टाचार की समस्या से निपटने के लिए भी उठाए जा सकते हैं। और सबसे जरूरी उपाय यह है कि भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई तेज होनी चाहिए, क्योंकि अधिक संरक्षण की वजह से हम पाते हैं कि सरकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई कर पाना जटिल होता है।
पांचवा उपाय है कि विसलब्लोअर संरक्षण विधेयक की कमियों को दूर किया जाए, क्योंकि यह हमें अच्छी तरह ज्ञात है कि प्रशासन के अंदर हो रहे भ्रष्टाचार की बेहतर जानकारी प्रशासन के अंदर के ही किसी व्यक्ति को होती है। छठा और अंतिम उपाय है कि सरकार भ्रष्टाचार से निपटने के लिए पूर्व में बने कानूनों को ही बेहतर तरीके से लागू करे। तभी हम निश्चित तौर पर बेहतर सामाजिक ,आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक विकास कर सकते हैं और सतत लक्ष्यों को भी प्राप्त कर सकते हैं।
’सौरव बुंदेला, भोपाल</p>