इधर देश भर में ‘वैलेंटाइन डे’ मनाया जा रहा था और उधर चंपारण में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा को कुछ असामाजिक तत्वों ने बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। यह प्रतिमा ‘चंपारण सत्याग्रह’ के सौ वर्ष पूरे होने पर चरखा पार्क में स्थापित की गई थी। हालांकि यह पहली घटना नहीं है जब चंपारण में किसी मशहूर व्यक्ति की प्रतिमा को तोड़ा गया हो।
इसके पहले अंतरराष्ट्रीय पहचान रखने वाले अंग्रेजी के कालजयी उपन्यासकार जार्ज आरवेल की प्रतिमा को भी पिछले वर्ष ठीक उनकी पुण्यतिथि के पहले कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा क्षतिग्रस्त कर दिया गया। आरवेल की यह प्रतिमा मोतिहारी शहर के ज्ञान बाबू चौक के करीब सत्याग्रह पार्क के बगल में स्थित थी। आरवेल उन चुनिंदा लोगों में थे, जो फासीवाद, नाजीवाद और स्टालिन की समान रूप से आलोचना करते थे और दोनों को मानवता का संकट मानते थे। वे किसी भी तरह के अधिनायकत्व के खिलाफ थे।
चंपारण में बापू की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त किया जाना उनकी ‘आत्मा’ को ठेस पहुंचाने के बराबर है। गांधी के विचारों को किताबों के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ खास विचारधारा के लोगों द्वारा उन्हें ध्वस्त करने की कोशिश की जाती रही है। आखिरकार हमारी युवा पीढ़ी किस दिशा में जा रही है? क्या सच में गांधी की विचारधारा खत्म हो गई है कि हमारा समाज गांधी की प्रतिमा को संरक्षण भी नहीं दे पा रहा है।
- नितेश कुमार सिन्हा, मोतिहारी
कुआं और खाई
रूसी क्रांति के नायक व्लादिमीर लेनिन ने कहा था कि ‘रूस के लिए यूक्रेन को गंवाना ठीक वैसा ही होगा जैसा एक शरीर से उसका सिर अलग हो जाए।’ सोवियत संघ के विघटन के बाद वर्तमान यूक्रेन का जन्म हुआ था। कहते हैं कि इतिहास को फिर से गढ़ने की महत्त्वाकांक्षाएं अक्सर विध्वंसक परिणामों से आशंकित रहती हैं। ऐसा ही कुछ वर्तमान में रूस-यूक्रेन के मध्य उपजे संकट से प्रतीत होता है।
दरअसल, इस संघर्ष की पृष्ठभूमि 2002 में तैयार हुई, जब यूक्रेन ने नाटो में शामिल होने की आधिकारिक प्रक्रिया शुरू करने का एलान किया तो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यह नागवार गुजरा था। यूक्रेन ने यह प्रयास फिर किया, जिससे अब दोनों देशों के मध्य युद्ध की स्थिति पैदा हो गई है। वर्तमान में युद्ध की स्थिति अगर विकराल रूप धारण करती है तो अमेरिका के साथ-साथ यूरोपीय संघ रूस पर जटिल आर्थिक प्रतिबंध लगा सकते हैं। रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगना मतलब विश्व की अर्थव्यवस्था चरमराना। दक्षिण एशियाई देशों में तेल की कीमतें बेतहाशा बढ़ने लगेंगी।
रूस नाटो को अपना दुश्मन मानता है। रूस नाटो देशों को अमेरिका के रूप में परिभाषित करता है। यूके्रन के अधिकतर पड़ोसी देश नाटो के सदस्य हैं। इससे रूस को यूक्रेन के नाटो में शामिल होने से अपनी सुरक्षा संबंधी चिंता सताने लगी है। रूस की सुरक्षा संबंधी चिंता को देखते हुए अमेरिका ने इस मुद्दे पर विचार करने का निर्णय लिया था, पर अंत में वह पलट गया। अब उसने रूस को यूक्रेन पर हमले की स्थिति में नतीजा भुगतने की धमकी दी है, जिससे तृतीय विश्व युद्ध जैसी स्थिति बन गई है।
रूस और यूक्रेन विवाद से भारत के समक्ष भी कूटनीतिक चुनौती उभरी है। भारत रूस का पुराना दोस्त है और यूक्रेन भी भारत के निकटम है। भारत और रूस के मध्य सामरिक महत्त्व के समझौते, द्विपक्षीय समझौते, विज्ञान और प्रौद्योगिकी समझौते आदि शामिल हैं। वर्तमान संकट को देखते हुए भारत के समक्ष ‘एक तरफ कुंआ तो दूसरी तरफ खार्इं’ की स्थिति बनी हुई है। आज भारत को दोनों देशों की जरूरत है। वह अमेरिका के साथ अच्छे संबंध चाहता है और रूस के साथ भी। इस स्थिति में भारत को संतुलन साधने में मुश्किल हो सकती है, जिसके लिए कोई ठोस कूटनीतिक कदम बढ़ाने होंगे।
- सूर्यप्रकाश अग्रहरि, रायबरेली