कोरोना महामारी से उपजी चिंताओं से आज हर शख्स परेशान है। लोगों में नौकरी चले जाने का भय, आर्थिक बोझ, भविष्य को लेकर अनिश्चितता, भोजन और अन्य जरूरी समानों के खत्म हो जाने का डर इन चिंताओं को और बढ़ा देता हैं। भारत दुनिया के सबसे ज्यादा अवसादग्रस्त देश है। पूर्णबंदी के चलते आई आर्थिक तंगी युवाओं के बीच अवसाद की समस्या और गहरा कर रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट यह बताती है कि इतनी बड़ी आबादी के बीमार होने के बावजूद लगभग एक लाख लोगों पर मात्र एक मनोचिकित्सक है।
वही अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के एक सर्वेक्षण के मुताबिक कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते दुनिया के आधे युवा अवसाद चिंता के शिकार हैं, जबकि एक तिहाई से अधिक युवा भविष्य में अपने कॅरियर को लेकर अनिश्चित है। कोरोना ने देश दुनिया की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका दिया है। इस विपदा के बीच यह गंभीर सवाल उठ खड़ा हुआ है कि कोरोना से निपटने के बाद एक बड़ी जनसंख्या अवसाद से कैसे बाहर निकलेगी।
’रंजना, प्रयागराज, उप्र