इसका सबसे बड़ा कारण ‘ज्ञान का अभाव’ है। दुनिया की आबादी आठ अरब हो चुकी है। देश के युवाओं को अनुशासन और संस्कार सरकार नहीं दे सकती, यह समाज और परिवार की देन होते हैं। समाज और परिवार दोनों ही पैदा होने से लेकर वयस्क होने तक युवाओं की ‘दशा और दिशा’ तय करते हैं। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि आज के दौर में समाज को कौन-सी चीज ज्यादा प्रभावित कर रही हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व की आबादी एक समय पर स्थिर होने की बात कही गई है, उसका एक कारण सोशल मीडिया से लगातार बढ़ती परिपक्वता भी हो सकती है।
इसमें कोई दो राय नहीं है की बढ़ती आबादी ने देश और दुनिया में प्राकृतिक पदार्थों के दोहन को बढ़ाया है, जिससे वैश्विक ताप वृद्धि, जैसी समस्याएं बढ़ी हैं। इसमें सबसे ज्यादा योगदान विकसित देशों का है। जनसंख्या नियोजन इन सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है, पर आज के समय में यह काम जटिल नजर आता है, खासकर विकाशील देशों के लिए, लेकिन अगर भारत समेत सभी विकासशील देश युवाओं तक सही समय पर सही जानकारी पहुंचाने में कामयाब होते हैं तो निश्चित ही हम इस चुनौती का सामना कर सकते हैं।
इसका एक सरल उपाय है ‘सोशल मीडिया’, जिसके जरिए सरकार देश के कोने-कोने में शिक्षा से वंचित युवाओं तक सही संदेश पहुंचा सकती है। आज देश के ज्यादातर युवाओं की पहुंच सोशल मीडिया तक है। इसने युवाओं को दुनिया के अलग-अलग मुद्दों से जोड़ा है और उन्हें समय से पहले परिपक्व करने का काम भी किया है। आज सामाजिक कार्यों में महिलाओं की बढ़ती हिस्सेदारी, युवाओं में सामाजिक मुद्दों के प्रति जानकारी को बढ़ाने में सोशल मीडिया का भी योगदान है। अगर सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए तो सोशल मीडिया के जरिए भी युवाओं को शिक्षित कर जनसंख्या नियोजन का काम किया जा सकता है।
अभिषेक कुमार, नोएडा</p>