तेल भंडार की बिक्री को लेकर किसी ने लिखा कि ‘भारत अपने रणनीतिक भंडार से तेल बाजार में छोड़ कर बढ़ती कीमतों पर प्रहार किया है’। अन्य एक अखबार ने लिखा- ‘कीमत पर वार मोदी सरकार’ आदि। जबकि इतिहास में पहली बार, भारत रणनीतिक भंडार से पचास लाख बैरल कच्चा तेल जारी करने जा रहा है। यह कोई भारत सरकार की पहल नहीं है। इसके पीछे अमेरिका का हाथ है, क्योंकि ओपेक देशों से जब कीमतों पर लगाम लगाने के वास्ते उत्पादन में बढ़ोतरी करने को कहा गया, तो वे देश नहीं माने। उन पर दबाव बनाने के लिए सिर्फ भारत नहीं, बल्कि अमेरिका, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने भी अपने आपातकालीन भंडारण से तेल को बाजार में उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इसलिए इसे भारत सरकार का अच्छा कदम कह कर उसे श्रेय देना, गलत होगा। यह अंतराष्ट्रीय समुदाय का सामूहिक प्रयास है।
’जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी, जमशेदपुर

मनमानी का संचार

आज से कुछ वर्ष पहले रिलायंस जियो ने एक वर्ष के लिए मुफ्त कालिंग और इंटरनेट सुविधा उपलब्ध करा कर टेलीकाम क्षेत्र में हलचल मचा दी थी। ऐसे मुफ्त के एलान से अन्य टेलीकाम कंपनियों को भी अपने उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए, अपने वित्तीय बोझ की परवाह न करते हुए अपने डाटा और कालिंंग पैकेज बहुत सस्ते करने पड़े थे। मगर अब धीरे-धीरे चींटी के भी पंख निकलने शुरू हो गए हैं। जियो ने पहले फ्री की सुविधा बंदकर दी, फिर पैकज महंगा करना शुरू कर दिया। अब दूसरी टेलीकाम कंपनियों ने भी अपने उपभोक्ताओं को महंगे प्लान का झटका देने का मन बना लिया है। ट्राई और सरकार को इस पर नजर रखनी होगी कि कहीं ये बिना वजह अपने उपभोक्ताओं को महंगे टैरिफ प्लान का झटका न दें।
’राजेश कुमार चौहान, जालंधर

प्रदूषण का प्रकोप

सर्दियों का मौसम शुरू होते ही प्रदूषण भी बढ़ने लगता है। जैसे-जैसे सर्दियां बढ़ती हैं, वैसे ही लोगों को प्रदूषण का सामना भी करना पड़ता है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग या तो सर्दी के कारण या फिर प्रदूषण के कारण बीमार हो जाते हैं। वैसे हर साल पराली जलाने से बहुत प्रदूषण होता है और इस बार भी हुआ है। प्रदूषण केवल पराली की वजह से नहीं, बल्कि डीजल और कोयले के अवशिष्ट का प्रयोग करने से भी होता है। प्रदूषण का एक भाग पराली है, तो दूसरा भाग डीजल और कोयला है। हमें डीजल और कोयले का प्रयोग बिल्कुल बंद करना होगा। हम प्रदूषण कम करने के लिए पेट्रोल और डीजल के वाहन का इस्तेमाल कर सकते है और फैक्ट्रियों में कोयले का प्रयोग करना चाहिए। पराली को खेत में नहीं जलाना चाहिए उसे काट कर खेत से अलग निकाल दिया जाएगा तो शायद प्रदूषण में थोड़ी राहत मिलेगी।

वैसे सरकार ने प्रदूषण के वजह से कई जगह स्कूल, कालेजों और दफ्तर दो-तीन दिन के लिए बंद कर दिया था। क्या सरकार दो-तीन दिनों में प्रदूषण की मात्रा को कम कर सकेंगे? क्या स्कूल-कालेज बंद करने से प्रदूषण कम हो सकता है? जैसे बच्चों के माता-पिता उन्हें कालेज छोड़ने जाते हैं, उनकी गाड़ियां से निकलने वाला धुआंं भी प्रदूषण का रूप ले लेता है, जिससे बच्चे घर पर रहेंगे तो उनके माता-पिता को उन्हें छोड़ने के लिए नहीं आना-जाना पड़ेगा और न ही ज्यादा प्रदूषण होगा। बच्चे आनलाइन ही पढ़ाई करेंगे, जिससे प्रदूषण कम होगा और ज्यादा से ज्यादा लोग खुली हवा में सांस ले पाएंगे।
’निशा सिंह, फरीदाबाद