गरमी आते ही सबसे बड़ी समस्या आती है जल की। जगह-जगह लोग पानी को लेकर परेशान रहते हैं, मगर गरमी जाते ही इस समस्या को भूल जाते हैं। जल संबंधी विभिन्न मुद्दों पर ठोस काम करने की जरूरत है। जनता को पानी के बुद्धिमता पूर्ण उपयोग के लिए जागरूक किया जाना चाहिए। निजी और सार्वजनिक जलस्रोतों का समुचित विकास और संरक्षण सुनिश्चित हो। बरसात के पानी को और अधिक संग्रहित किया जाना चाहिए। नए तालाब बनवाए जाएं, पुराने कुओं, तालाबों और बावड़ियों का संरक्षण किया जाए। नदियों को स्वच्छ बनाया जाए। जमीन के भीतर पानी जाए, इसके लिए प्रयास हों।
साजिद अली, इंदौर

हिंसा की जड़ें

पश्चिम बंगाल में टीएमसी की सरकार बनने के बाद से लगातार हिंसा हो रही है। इसमें अब तक अनेक बेगुनाह लोगों की मौत हुई है। ऐसी ही घटना फिर हुई है। बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट क्षेत्र में भड़की हिंसा में दस लोगों को जिंदा जला कर मौत के घाट उतारा गया। वहां जब भी कोई हिंसा होती है, उसमें कहीं न कहीं टीएमसी कार्यकर्ताओं की संलिप्तता बताई जाती है। हिंसा करने वाले कितने निर्दयी हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि जिन दस लोगों को जिंदा जलाया गया, उनमें दो बच्चे भी थे।

चुनावी मंचों पर शांति की बात करने वाली तथा दूसरों पर आरोप लगाने वाली ममता बनर्जी को जबाव देना चाहिए कि बंगाल में कब ऐसी हिंसक घटनाएं रुकेंगी। वे जानबूझ कर ऐसी घटनाओं पर अंकुश नहीं लगाना चाहती हैं। चुनाव परिणाम आने के बाद जो कुछ बंगाल में घटा, वह सब जगजाहिर है।

कैसे बंगाल में विजय जुलूस निकाल कर लक्षित करके टीएमसी के लोगों ने निर्दोष लोगों को मारा। दुकानें लूटी गर्इं, महिलाओं के साथ बलात्कार हुए। इन सभी घटनाओं के प्रत्यक्षदर्शी बंगाल के राज्यपाल भी थे। हिंसक भीड़ द्वारा उनकी गाड़ी पर भी पथराव किया गया था। किसी भी राज्य में इस प्रकार की घटना रकने की जिम्मेदारी वहां की सरकार की होती है, लेकिन निरंतर बढ़ती घटनाओं से साफ है कि बंगाल में ममता की नहीं, निर्ममता की सरकार है।
ललित शंकर, गाजियाबाद