इस बार के गणतंत्र दिवस समारोह के सामने दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के धरना एक बड़ी चुनौती है। गणतंत्र दिवस की अपनी गरिमा होती है। महामारी के चलते उपजी समस्याओं के बीच समारोह के घोषित मुख्य अतिथि ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन नहीं आ पाएंगे।

ऐसे में शायद यह पहली बार होगा कि गणतंत्र दिवस समारोह में कोई विदेशी शासनाध्यक्ष अतिथि के रूप में मौजूद न हो। मगर समारोह की अहमियत वहां मौजूद दर्शकों और परेड की भव्यता से ज्यादा उस भाव से जुड़ी है जो हर देशवासी के मन में इसके प्रति बना रहता है।

विवादित कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर किसान खुले में मौसम की मार झेल रहे हैं। अब तक कई दौर की बातचीत नाकाम होने के बाद उन्होंने कहा है कि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में प्रवेश करके वे ट्रैक्टर परेड निकालेंगे। सरकार और किसानों के बीच अविश्वास की एक गहरी खाई बन गई है। इसे जल्दी पाटा जाना चाहिए, ताकि दुनिया में हमारी छवि एक अशांत समाज जैसी न बने।
’मधु कुमारी, बोकारो, झारखंड</p>