जब पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल विपक्षी आलोचकों के फोन पर किए जाने का खुलासा हुआ था, तब टीवी पर हुई बहस में एक विपक्षी नेता ने कहा था, इस मामले को अगर अदालत में ले जाया जाएगा तो यह ठंडे बस्ते में चला जाएगा ! क्योंकि सरकार देश की सुरक्षा का हवाला देकर कोई भी जानकारी देने से इनकार कर देगी। इस मसले पर वही हुआ, जिसकी आशंका जाहिर की गई थी। सॉलीसिटर जनरल ने हलफनामा देने से मना कर दिया।
राष्ट्र की सुरक्षा की दलील दी गई, जबकि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने बहुत ही सरल शब्दों में पूछा था कि क्या आपने पेगासस का इस्तेमाल किया या नहीं! अगर नहीं किया होता तो सरकार कह सकती थी कि हमने नहीं किया। न स्वीकार करना, न ही अस्वीकार करना। इसका मतलब यह हुआ कि जासूसी सॉफ्टवेयर का प्रयोग, आलोचकों और विरोधियों पर किया गया था। देखना है कि शीर्ष अदालत अपने मुख्य आदेश में क्या कहती है। मगर अब सरकार को यह बताना पड़ेगा कि क्या देश की सुरक्षा विपक्षियों और आलोचकों के कारण खतरे में है!
’जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर, झारखंड</p>
बेलगाम तालिबान
तालिबान ने लगभग बिना किसी प्रतिरोध के समूचे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। अभी तक इसका जैसा चेहरा सामने आया है, उससे साफ है कि यह तालिबान भी पूरी तरह से 1996 से 2001 वाला पुराना तालिबान है। कोई बदलाव नहीं है। इसकी सोच कट्टरपंथी है। तालिबान अफगानिस्तान की आम जनता पर कहर ढा रहे हैं। विशेष रूप से महिलाओं और बुजुर्गों के लिए कोई दया नहीं है। जनता पर कई प्रतिबंध लगाए गए हैं। महिलाएं जीन्स और टी-शर्ट जैसे आधुनिक कपड़े नहीं पहन सकती हैं। उन्हें बुर्का पहनने का सख्त आदेश दिया गया है। तालिबान को नियंत्रित करने वाला कोई नहीं है। इसलिए विश्व समुदाय को उन पर लगाम लगाने के लिए एकजुट होना चाहिए। इस क्रूर आतंकवादी संगठन के लिए पूरी तरह से बहिष्कार जरूरी है।
’नरेंद्र कुमार शर्मा, मंडी, हिप्र