लोकतांत्रिक निर्वाचन प्रणाली के नियमानुसार किसी भी चुनाव में प्रत्येक उम्मीदवार को चाहिए कि चुनाव से पूर्व जनता के समक्ष अपना तैयार किया हुआ घोषणा-पत्र प्रस्तुत करे, ताकि जनता उसके अनुसार अपने मत का निर्धारण कर सके। घोषणा-पत्र में वे सारी बातें समाहित रहती हैं, जो जनता और उस क्षेत्र के विकास से संबंधित होती हैं।

हरेक उम्मीदवार के मन में क्षेत्र के विकास को लेकर अलग तरह की योजना रहती है और वह जनता के सामने अपनी योजना के तहत विकास की बात करता है, लेकिन ग्राम पंचायत चुनावों में इस तरह का कोई भी घोषणा-पत्र नजर नहीं आता, क्योंकि न तो उम्मीदवारों को इसकी फिक्र होती है और न जनता इतनी जागरूक है कि वह उम्मीदवार से सवाल-जवाब कर सके! अगर किसी गांव का कोई शिक्षित और जागरूक व्यक्ति उम्मीदवारों को जनता के समक्ष बिठा कर उनका दक्षता भाषण करवाने की योजना बनाता भी है तो विभिन्न तरीकों से उसे डराया-धमकाया जाता है। लिहाजा विवाद की स्थिति से बचने के लिए कोई भी व्यक्ति इस कार्य को अंजाम देने की सोचता भी नहीं!

मूलभूत सुविधाओं के अतिरिक्त भी गांववासियों की कई आवश्यकताएं होती हैं, लेकिन हर बार के चुनाव में विजयी प्रधान बस बिजली, पानी और सड़क जैसी जरूरतों को पूरा करने या उनकी बात करने तक ही सीमित रहता है। किसी भी प्रत्याशी या जनता के जेहन में यह बात नहीं आती कि शिक्षा, राशन, आवास, शौचालय और पेंशन जैसे मुद्दों पर भी विशेष चर्चा होनी चाहिए।

पुस्तकालय की स्थापना, रोजगारपरक शिक्षा के लिए विभिन्न कौशल-प्रशिक्षणों की शुरुआत तथा खेल-कूद की सामग्री आदि का समुचित प्रबंध भी गांव के चतुर्दिक विकास के प्रमुख अंग हैं। दरअसल, बड़े राजनीतिक चुनावों की तर्ज पर ही अब ग्राम पंचायत चुनावों में भी मतदाताओं को गलत तरीके से अपने पक्ष में किया जाता है। अब अगर कोई प्रत्याशी बेलगाम धन व्यय करेगा तो भला गांव के विकास के लिए उसकी आत्मा कैसे गवाही देगी!

अब समय बदल चुका है। गांव की जनता भी शिक्षित और जागरूक होने लगी है, इसलिए प्रत्येक गांव के मतदाता को अपने प्रत्याशियों से उसके घोषणापत्र की मांग करनी चाहिए और उसी घोषणापत्र के आधार पर योग्य एवं कर्मठ प्रत्याशी का चुनाव करना चाहिए। धन-बल और वंशवाद की राजनीति को समझ कर ऐसे व्यक्ति का चुनाव करना होगा जो वास्तव में गांव को सभी संसाधनों से लैस आधुनिक गांव बनाने के लिए कटिबद्ध हो।
’अनुज पंडित, प्रयागराज, उप्र

सफलता की राह

जिंदगी में सफलता हासिल करने के लिए बेहद जरुरी है कि प्रयास अंतिम वक्त तक किया जाए जो आधे अधूरे मन से प्रयास करता है। या फिर वक्त से पहले हार मान लेते है, उन्हें कभी सफलता नहीं मिलती है। लेकिन जिन लोगों में आगे बढ़ने का जज्बा होता है और जो लक्ष्य तरफ लगातार आगे बढ़ते रहते हैं, उन्हें एक न एक दिन कामयाबी जरूर हासिल होती है। हमारी जिंदगी में भी कई बार ऐसे मोड़ आते है, जब हमारी हिम्मत जवाब देने लगती है। लेकिन यही वह मोड़ होता है, जो हमें कामयाबी से दूर कर सकता है। हम ऐसे नाजुक वक्त में अपने कदम पीछे खीच लेंगे तो हमें कामयाबी कभी नहीं मिलेगी। कामयाब वही होता है जो बिना थके, बिना रुके अपने प्रयास निरंतर जारी रखता है।
’गौतम एसआर, भोपाल, मप्र