हिसार के बाबा रामपाल से ज्यादा दोषी वे भक्त हैं जो लाठी, पत्थर, हथियार लिए बाबा का इहलोक सुधारने की जिद कर बैठे थे! धार्मिक और धर्मभीरु में फर्क न जानने वाले ये अंधभक्त ही रामपाल की असल ताकत थे जिनके भरोसे सतलोक आश्रम का तमाशा चला। दुर्भाग्य यह है कि ऐसे लोग समाज में सहज मिल जाते हैं।
जहां अशिक्षा, निकम्मा प्रशासन, संवेदनहीन तंत्र इस कथित भक्ति व्यापार के उत्प्रेरक हैं वहीं घाघ राजनेता इसके पोषक।

’मंदीप यादव, खैरथल, अलवर

 

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