इस महामारी के रोकथाम के लिए पूरे देश में पूर्णबंदी लगने के कारण देश की आर्थिक स्थिति बुरी तरह से प्रभावित हुई और पहले से ही सुस्त अर्थव्यवस्था की रफ्तार पूरी तरह ठप हो गई। लेकिन धीरे-धीरे काबू में आती स्थिति और बीते त्योहारों के बाद से बाजारों की रौनक अब लौट रही है और उम्मीद है कि आने वाला साल कारोबार के लिहाज से बेहतर साबित होगा और बीते साल में हुए नुकसान की भरपाई भी करेगा।
गौरतलब है कि देश के किसानों ने महामारी का मौहाल होने के बाद भी फसल की अच्छी पैदावार की और वृद्धि दर भी 2019 से काफी बेहतर रही। इसके अलावा निर्यात के स्तर पर भी इस क्षेत्र ने काफी बेहतर काम किया। दुग्ध उत्पादन में भी वृद्धि दर्ज की गई है।
इसलिए उम्मीद है कि 2021 में कारोबार के लिहाज कृषि क्षेत्र की स्थिति काफी बेहतर रहेगी। इसके अलावा, सरकार द्वारा एमएसएमई ऋण लघु और सूक्ष्म उद्योग के कारोबार और रोजगार सृजन में फायदेमंद साबित हो सकता है। हालांकि ये ऋण जरूरतमंदों को आसानी से उपलब्ध हो सके, इसके लिए सरकार को इसकी प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी और सरल करना होगा, ताकि लोगों को यह आसानी से उपलब्ध हो सके।
’शुभम शर्मा, गोरखपुर, उप्र
आस्था के बरक्स
भारत दुनिया भर में अपनी संस्कृति और सभ्यता के लिए प्रतिदिन नया कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, लेकिन लोगों का आस्था के नाम पर हावी अंधविश्वास देश को और देशवासियों को गर्त में डालने का काम कर रहा है।
चाहे कोई पूजा कराने की बात हो या अन्य आस्था का विषय, सभी में सिर्फ रुपयों की बात होती है। जैसे विवाह भवन में कई तरह के मूल्य निर्धारित होते हैं। उसी के मुताबिक लोगों की आस्था को रुपयों के तराजू पर तौला जाने लगा है।
आज भी जिस तरह अंधविश्वास के चक्कर में पड़ कर अपना धन गंवाने से लेकर किसी बच्चे की बलि तक दे देने की घटनाएं सामने आ रही हैं, वह हमारे विकास के स्वरूप, इच्छाशक्ति और हमारी चेतना पर सवाल उठाता है।
जिस तरह से समय और परिस्थिति के अनुसार चीजें बदलती हैं, जरूरत है अंधविश्वासों को जल्द से जल्द खत्म कर दिया जाए। आज डिजिटल और विज्ञान के युग में व्याप्त कुरीतियों का खात्मा अत्यंत आवश्यक है। अन्यथा आने वाले समय में अंधविश्वास का ढोंग इतना हावी न हो जाए, जो खुद हमारे लिए परेशानी का सबब बने।
’अमन जायसवाल, दिल्ली विवि, दिल्ली