गांवों के संभलने से ही देश संभल सकता है। सरकार अगर कुछ छोटे-मोटे बदलावों की शुरूआत करे और मदद करे, तो भारत का ग्रामीण क्षेत्र पूर्ण रूप से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकता है। यह सत्य भी है कि अगर भारत के गांव खुशहाल होंगे, तभी देश खुशहाल बन पाएगा। कोरोना काल में जब देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है और जीडीपी ऐतिहासिक गिरावट की ओर चली गई हो, तो ऐसे समय में कृषि ही मात्र एक ऐसा क्षेत्र है जहां कुछ आस दिखाई दे रही है। लेकिन दुख की बात है कि इस क्षेत्र की हमेशा से अनदेखी होती आई है।

सरकारों ने किसान और किसानी की जिस तरह से उपेक्षा की है, उसी का नतीजा है कि आज किसान दयनीय हालत में जीने को मजबूर है और हताशा में मौत को गले लगा रहे हैं। दूसरी ओर राजनीतिक दल किसानों की मौत पर राजनीति करते रहे हैं।

देश में कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कृषि तकनीक सस्ती करनी होगी, भूमिहीनों को भूमि उपलब्ध कराने के प्रयास करने होंगे, जो भूमि कृषि योग्य नहीं है उसे उपजाऊ बनाने में सहयोग करना होगा। गांवों में सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने और चिकित्सा सुविधाओं में सुधार करना होगा, ताकि ग्रामीण लोग रोजगार की तलाश में पलायन करने को मजबूर न हों और गांवों में ही कषि व इससे जुड़े उद्योगों में लगें।
’मोहम्मद आसिफ, दिल्ली</p>