राम की नगरी और देश के सबसे बड़े चौकीदार के संसदीय क्षेत्र वाले राज्य में सत्ता की साख राख हो गई। हाथरस और बलरामपुर में दुष्कर्म के बाद हत्या की घटनाएं तो दहला देने वाली हैं ही, उससे भी ज्यादा ऐसी घटनाओं को लेकर सरकार और प्रशासन का रवैया, लापरवाही और संवेदहीनता कहीं ज्यादा झकझोरने वाली है। सच्चाई यह है कि कमजोर तबकों का मजबूत होना दबंगों को रास नही आ रहा है।
राजस्थान में भंवरी देवी कांड में कैसे निर्लज्जता से बयान दिया गया था कि,” ऊंच जाति के लोग दलित महिलाओं को छू भी नहीं सकते, फिर दुष्कर्म की तो बात कहां से आती है?” हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोध के छात्र रोहित वेमुला, पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या दलितों की आवाज दबाने की साजिश ही है। देश में हर घंटे दलितों के साथ पांच अपराध हो रहे हैं और दूसरी ओर सबके साथ, सबका विकास का नारा देकर पाखंड किया जा रहा है। देश में जो लोग कहते थे कि 56 इंच की छाती है, हम भी चौकीदार हैं, आज कहां बिल में घुसे हैं ये चौकीदार गए? किसकी चौकीदारी कर रहे हैं?
क्या दुष्कर्मियों, दबंगों और सामंतों की चौकीदारी हो रही है? इस देश को नहीं चाहिए ऐसा चौकीदार जिसकी आंखों के सामने गरीबों की इज्जत लूटी जा रही हो और हत्याएं हो रही हों।
’प्रसिद्ध यादव, बाबूचक, पटना
कैसा रामराज्य ?
अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर अवश्य बन रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश में भगवान राम के आदर्शों का पालन नहीं हो रहा है। दलित समाज का जिस प्रकार उत्पीड़न हो रहा है, वह हृदय विदारक है। भगवान राम ने तो पिछड़ी जाति की अहिल्या बाई का उद्धार किया था।
शबरी के हाथ से जूठे बेर खाए और आज उन्हीं भगवान राम के आदर्शों का गला घोंटा जा रहा है और वह भी उस उत्तर प्रदेश में जहां उनकी जन्मभूमि अयोध्या स्थित है। सिर्फ मंदिर बना कर हम राम राज्य की स्थापना नहीं कर सकते। इसके लिए हमें उनके आदर्शों पर चलना होगा।
’नवीन थिरानी, नोहर