इन दिनों सोशल मीडिया पर जहां फेक न्यूज यानी फर्जी खबरों पर लगाम लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं वहीं चुनावी मौसम में फर्जी खबरों की बाढ़ आती जा रही है। सच से कोसों दूर खबरों को सोशल मीडिया पर इस तरह परोसा जा रहा है कि सच और झूठ का पता ही नहीं चल पाता। नतीजतन, आम मतदाता बुरी तरह भ्रमित होता जा रहा है। मौजूदा चुनाव में भी जम कर फर्जी खबरों का सहारा लिया जा रहा है। फोटोशॉप या दूसरी अन्य तकनीकों से फोटो, पत्रों, वीडियो, ऑडियो आदि से छेड़छाड़ कर इस तरह प्रस्तुत किया जा रहा है कि जब तक सच सामने आता है तब तक वह ‘पोस्ट’ अपना असर डाल चुकी होती है। यदि बात करें फर्जी अकाउंट की तो ऐसे अकाउंट्स की मंडी सज गई है। कोई देश के प्रधानमंत्री के नाम पर अकाउंट चला रहा है तो कोई अन्य किसी नेता के नाम पर। राहुल गांधी और उनके ‘फैन’ के नाम पर भी खूब फर्जी अकाउंट चल रहे हैं।
साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे फर्जी अकाउंट चलाने वाले किसी भी फर्जी खबर या सूचना वाली पोस्ट को वायरल करते रहते हैं। इसके बदले में हजारों रुपए कमा रहे हैं। रॉयटर्स इंस्टीट्यूट के एक सर्वे के मुताबिक भारतीय इंटरनेट उपभोक्ताओं में से 52 फीसद को खबरें ‘व्हाट्सएप’ के जरिए मिलती हैं। करीब इतने ही लोगों को फेसबुक के जरिए खबरें मिलती हैं। 2017 और 2018 में फेक न्यूज के चलते कम से कम 31 लोग मारे गए हैं। हाल में मुरली मनोहर जोशी का लालकृष्ण आडवाणी को लिखा कथित पत्र सोशल मीडिया में काफी वायरल हुआ। बाद में जोशीजी को चुनाव आयोग को खत लिखना पड़ा कि उन्होंने ऐसा कोई पत्र नहीं लिखा लिहाजा, इसकी जांच कराई जाए। इसी तरह सेना के अधिकारियों द्वारा राष्ट्रपति को लिखा गया कथित पत्र भी सोशल मीडिया में काफी वायरल हुआ जो एकदम फर्जी निकला। राष्ट्रपति कार्यालय ने भी बताया कि उसे इस तरह का कोई पत्र मिला नहीं और सेनाधिकारियों ने भी कहा कि उन्होंने ऐसा कोई पत्र लिखा ही नहीं।
ऐसी फर्जी खबरों की रोकथाम के लिए ‘फेसबुक’ ने गुमराह करने वाले प्रयोगकर्ताओं के सैकड़ों अकाउंट और उनसे संबंधित पेजों को हटा दिया है। व्हाट्सएप ने एक नई सेवा शुरू की है जिसके तहत प्रयोगकर्ताओं द्वारा भेजी गई रिपोर्ट या खबर की सत्यता की जांच करेगा और गलत जानकारी शेयर करने के मामले का अध्ययन करेगा। एक अप्रैल को फेसबुक ने कांग्रेस से संबंधित कहे जाने वाले 687 पेज और अकाउंट को हटाने का फैसला किया था। इन अकाउंट्स या पेजों की विश्वसनीयता संदिग्ध आंकी गई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा का समर्थन करने वाले करीब 200 पेज और अकाउंट्स को भी हटाया गया है। इन दिनों फर्जी खबरों का यह मामला काफी चर्चित है और हमें अपने समाज में ऐसी खबरों के प्रति जागरूकता लाने की आवश्यकता है ।
’अमन सिंह, प्रेमनगर, बरेली, उत्तर प्रदेश</p>