‘उपेक्षित और हताश बुजुर्ग पीढ़ी’ (4 अक्तूबर) पढ़ा। हाल ही में आई एक खबर के मुताबिक, यह सामने आया कि भारत में बुजुर्ग काफी हद तक उपेक्षित और हताश हैं। सर्वे के अनुसार देश में करीब इकहत्तर फीसद बुजुर्ग किसी प्रकार का काम नहीं कर रहे और इकसठ फीसद बुजुर्गों का मानना था कि देश में उनके लिए पर्याप्त और सुलभ रोजगार के अवसर ही उपलब्ध नहीं हैं। बुजुर्गों से परीक्षा के मामले में वैश्विक रैंक में भारत का सत्तरवां स्थान है।
हमारा देश बुजुर्गों को सम्मान देने वाला और सहारा देने वाला माना जाता है। वास्तव में जब ढलती उम्र में शरीर शिथिल हो जाता है तो निकटतम परिजन बुजुर्गों को बोझ समझने लगते हैं और उनकी वजह से अपने एशो-आराम में कोई कमी नहीं होने देना चाहते हैं। इसके लिए सरकार ने वरिष्ठ नागरिक हेल्पलाइन बना रखा है।
इसके अलावा, वक्त के तकाजे के मुताबिक बुजुर्गों के लिए एक सलाह यह है कि उन्हें अपने जीवन भर के कमाई हुई पूंजी को अपने पास ही रखना चाहिए। उन्हें यह लिख देना चाहिए कि जब तक वे जीवित हैं, यह सब संपत्तियां उन्हीं की रहेंगी और उनकी मृत्यु के बाद ही उसका बंटवारा हो सकेगा।
- विभूति बुपक्या, खाचरोद, मप्र